🔳 पोकलैंड मशीन ने तोड़ी पुलिया तो ग्रामीणों ने दोबारा कर डाली तैयार
🔳पहले ग्रामीणों ने जिम्मेदारों से लगाई गुहार पर नहीं हो सकी सुनवाई
🔳बुजुर्ग महिलाएं तक सेतू निर्माण को नदी में उतरी
🔳कंधे से कंधा मिलाकर दिन भर जुटे रहे गांव के बाशिंदे

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

जब जिम्मेदार जिम्मेदारी से मुंह फेर ले तो जनता आगे आकर पूरी सिदत से समाज हित में कदम बढ़ा देती है। यहीं खासियत है गांवों के बाशिंदों में। बीते दिनों डोबा गांव को जाने वाले अस्थाई सेतू को पोकलैंड मशीन से तोड़ डाला गया। ग्रामीणों ने सेतू निर्माण की मांग उठाई पर जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो ग्रामीणों ने शिप्रा नदी पर कंधे से कंधा मिलाकर सौ मीटर दायरे में सेतु निर्माण कर जिम्मेदारों को आईना दिखा दिया।

अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे से सटे बेतालघाट ब्लॉक के डोबा समेत आसपास के गांवों को गरमपानी से शिप्रा नदी के रास्ते आवाजाही की जाती है‌‌। स्कूली बच्चे इसी रास्ते का इस्तेमाल कर विद्यालय पहुंचते हैं तो गांवों के कास्तकार भी इसी रास्ते उपज को हाइवे तक पहुंचाते हैं। सप्ताह भर पूर्व शिप्रा नदी में किए जा रहे बाढ़ सुरक्षा कार्यों में इस्तेमाल की जा रही पोकलैंड मशीन ने नदी पर बने रास्ते को तोड़ डाला। रास्ता तोड़े जाने से स्कूली बच्चों, बुजुर्गो, महिलाओं, किसानों को आवाजाही में तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा। मजबूरी में लोग हाड़ कंपाने वाली ठंड में नदी में उतर आवाजाही को मजबूर हो गए। क्षेत्रवासियों ने अस्थाई पुलिया निर्माण की मांग उठाई पर कोई सुनवाई न हो सकी। सिस्टम की अनदेखी से परेशान ग्रामीण आखिरकार खुद ही सेतू निर्माण को नदी में उतर गए। बुजुर्ग महिलाएं, नौजवान सभी सेतू निर्माण में जुट गए। तकरीबन पांच घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद नदी क्षेत्र में बामुश्किल सौ मीटर अस्थाई सेतू का निर्माण कर लिया गया। ग्रामीणों ने सेतू निर्माण होने पर एक दूसरे को बधाई दी। इस दौरान नंदन राम, मुन्ना बिष्ट, चंचल राम, महेश राम, सुमित, राजेंद्र सिंह बिष्ट, हरीश बिष्ट, सुनीता देवी, प्रिया देवी, संतोष, रेखा देवी, प्रेम, खष्टी देवी, केशर सिंह, बचुली देवी, मनोज बिष्ट, करन आदि जुटे रहे।