= बिल्डरों व भू माफियाओं की सांठगांठ से हो रहा खेल
= आंखे मुंदे बैठे है जिम्मेदार
= ग्रामीणों का आरोप – गांव को बनने वाली सड़कों में बीत जाते है बरसों

(((विशेष संवाददाता की स्पेशल रिपोर्ट)))

बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के फेर में खुलेआम नियमों को ताक पर रख जेसीबी मशीनों से जंगलों का सीना चीर सड़क निर्माण किए जा रहे हैं। बावजूद कोई सुध लेने वाला नहीं है। सड़क निर्माण में कई पेड़ों को भी तहस-नहस किया जा रहा है। लोगों का आरोप है कि यदि गांव के लिए सड़क निर्माण की मांग की जाती है तो सालों बीत जाते हैं पर बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए रातों रात सड़क काटी जा रही है।
बाहरी राज्यों से पर्वतीय क्षेत्रों में जमीन लेने वालों की होड़ मची हुई है। ऐसे में भूमाफिया भी सक्रिय हैं। जमीनों को औने पौने दामों में बेचने के साथ ही अब ऊंचाई वाले क्षेत्रो तक रोड निर्माण के कार्य ने भी तेजी पकड़ ली है बिना अनुमति के धड़ल्ले से कई किलोमीटर रोड काट दी जा रही है। बिल्डरों व भू माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए रातों-रात भारी भरकम मशीनों से हरे भरे पेड़ों का सीना चीर रोड निर्माण का कार्य किया जा रहा है। रोड बनाने में आड़े आ रहे कई संरक्षित प्रजाति के पेड़ों की भी बलि दे दी जा रही है। बावजूद जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं। जंगल के जंगल तबाह करने की तैयारी हो रही है बावजूद कोई सुध लेवा नहीं है। कई लोगों का कहना है कि यदि गांव में सड़क निर्माण की बात आती है तो तमाम विभाग अनापत्ति प्रमाण पत्र देने में वर्षों लगा देते हैं पर बिल्डरों को भू माफियाओं के आगे सभी नतमस्तक हैं। रातों रात सड़क निर्माण कर दिया जा रहा है कहा है कि धड़ल्ले से भारी-भरकम मशीनों से सड़क बनाई जा रही है जिससे भविष्य में भूस्खलन का खतरा भी दोगुना हो गया हैः शांत समझे जाने वाले गांवों में भूमाफिया व बिल्डरों की मिलीभगत से हरेभरे जंगलों को तबाह करने का खेल शुरू हो चुका है गतमाम गांवों के लोगों ने शासन प्रशासन से सुध लेने की मांग की है। पंचायत प्रतिनिधि व गांवों की देखरेख में तैनात सरपंच का भी कहना है कि रोकने के बावजूद कोई बात सुनने को तैयार ही नहीं है और मनमानी लगातार जारी है।