= बीते वर्ष आपदा में हुए नुकसान की नही हो सकी आज तक भरपाई
= गांवो के रास्ते समेत पेयजल, सिंचाई आदि व्यवस्थाएं बेजार
= मरम्मत के प्रस्ताव आज भी फाईलो में कैद
= कई क्षेत्रो में मानवजनित आपदा को न्यौता देने की भी तैयारी
= सरकारी मशीनरी पर ग्रामीणों के हितो से खिलवाड़ का आरोप

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

बेतालघाट तथा रामगढ़ ब्लाक के तमाम गांवो के वासिंदे अभी पिछली आमदा की मार से उभर भी नही सके थे की अब बरसात नजदीक आने तथा आसमान की गड़गडाहट से ही सिहर जा रहे है। गांवो के पैदल रास्ते, पेयजल, सिंचाई आदि व्यवस्थाएं आपदा को नौ महीने बीतने के बावजूद जस की तस है। आपदा से निपटने को तंत्र की तैयारी भी शून्य नजर आ रही है। आपदा की मार से कराह रहे गांवो में लंबा समय बितने के बावजूद आपदा से निपटने ठोस कदम न उठाए जाने पर पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने नाराजगी जताई है।
बीते वर्ष अक्टूबर में हुए महाप्रलय को अभी लोग भूल भी नही सके थे की अब एक बार फिर बरसात नजदीक होने से लोग दहशतजदा है। बीते वर्ष बेतालघाट तथा रामगढ़ ब्लाक के तमाम गांवो के वासिंदो ने काफि नुकसान उठाया। आज भी गांवो के लोग आपदा का दंश झेल रहे है। गांवो को जाने वाले रास्ते नौ माह बाद भी बदहाल है। बाड़ सुरक्षा कार्य होने के उलट प्रस्ताव फाईलो में धूल फांक रहे है। सिंचाई तथा पेयजल योजनाओं की मरम्मत तक नही हो सकी है। मुख्य सड़के तक मरम्मत के इंतजार में है। ग्राम प्रधान सिरसा इंदु जीना, मल्ली पाली शेखर दानी, पूरन लाल साह, कुबेर सिंह जीना, पंकज नेगी, भीम सिंह, विरेन्द्र बिष्ट आदि ने शासन प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए है। आरोप लगाया है की नौ महीने तक महज दावे ही किए जा सके है। धरातल पर कुछ भी नही हो सका है। अब बरसात नजदीक होने पर फिर बडा़ संकट मंडराने की आंशका है। खतरा टालने को कुछ भी नही हो सका है। इसके उलट आपदा को न्यौता देने की पूरी तैयारियां की गई है। कुछ विशेष स्थानो पर आपदा के बजट से कार्य किए भी जा रहे है तो वो भी आधे अधूरे है। आरोप लगाया है की कुछ स्थानो पर मानवजनित आपदा की भी तैयारी की गई है। जिससे भारी से भारी नुकसान हो सकता है। पंचायत प्रतिनिधियों व ग्रामीणों ने सरकारी मशीनरी पर लोगो के हितो से खिलवाड़ किए जाने का आरोप लगाया है।