◾ दो वर्षों से सुरक्षात्मक कार्यों का इंतजार कर रहे क्षेत्र के वासिंदे
◾शिप्रा ने मचाई थी तबाही कई भवन हुए थे जमीदोंज
◾ लगातार उठ रही मांग बावजूद नहीं हो रही सुनवाई

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

सरकार व उसके नुमाइंदे जनहित के कार्यों को लेकर कितना संजीदा है इसका जीता जागता उदाहरण शिप्रा नदी में आपदा को दो वर्ष बीतने के बावजूद सुरक्षात्मक कार्यों का न होना दर्शाता है। सुरक्षात्मक कार्य न होने से लोगों को भविष्य को चिंता सताने लगी है। उपेक्षा पर गहरी नाराजगी भी जताई है।

बीते दो वर्ष पूर्व गरमपानी खैरना बाजार क्षेत्र के ठिक पीछे बहने वाली उत्तरवाहिनी शिप्रा ने मूसलाधार बारिश के बाद रौद्र रुप दिखाया। देखते ही देखते कई आवासीय मकान नदी के तेज बहाव में बह गए। कई परिवार घर से बेघर हो गए। इतना सब कुछ होने के बावजूद आबादी क्षेत्र को बचाने को अब तक ठोस उपाय नहीं किए जा सकें है। कई बार मांग उठाए जाने के बावजूद कोई सुधलेवा नहीं है। नदी क्षेत्र में आबादी क्षेत्र की सुरक्षा को सुरक्षात्मक कार्य न होने से क्षेत्र के सैकड़ों परिवारों को भविष्य का भय सताने लगा है। स्थानीय धन सिंह पिनारी, गंगा सिंह पिनारी, राजेंद्र सिंह, कैलाश सिंह, भुवन सिंह पिनारी, हरक सिंह, भैरव नैनवाल, कैलाश कांडपाल, विनोद कांडपाल, मनोज नैनवाल आदि ने संबोधित विभाग पर क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाया है। जल्द सुरक्षात्मक कार्य शुरु कराए जाने की मांग उठाई है। चेतावनी दी है की यदि अनदेखी हुई तो फिर क्षेत्र के लोगों को साथ लेकर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।