= देश के लिए प्राण निछावर कर देने वाले बलिदानी सपूतों को नमन
= तंत्र की उपेक्षा से नाराज है परिजन
= विद्यालय का नाम शहीद के नाम पर रखने का कर रहे इंतजार, वर्धो गांव के शहीद के गांव को जोड़ने वाली सड़क बदहाल

(((विरेन्द्र बिष्ट/कुबेर सिंह जीना/शेखर दानी की रिपोर्ट)))

शौर्य दिवस पर देश के लिए अपना सब कुछ निछावर कर देने वाले वीर योद्धाओं को याद किया जाता है। पर शहीद के परिवार आज भी तंत्र की उपेक्षा का शिकार है।बेतालघाट ब्लॉक के वर्धो तथा सिमलखा गांव के वीर बलिदानी सपूत के परिवार उपेक्षा से नाराज हैं।
कारगिल युद्ध में बेतालघाट ब्लॉक के दो बेटों ने अदम्य साहस का परिचय दें मां भारती की सेवा में अपने प्राण निछावर कर दिए। बेतालघाट के सिमलखा गांव के चंदन सिंह भंडारी तथा वर्धो गांव के बलवंत सिंह मेहरा ने अपने देश की सुरक्षा की खातिर अपने प्राण निछावर कर दिया पर तंत्र की मार से परिजन आज भी दुखी हैं। सिमलखा निवासी शहीद चंदन के परिजन लंबे समय से जीआइसीसी सिमलखा का नाम शहीद के नाम पर किए जाने की मांग उठा रहे हैं पर तंत्र के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। महज कागजों में ही सब कुछ चल रहा है। शहीद की मां आवाज उठाते उठाते दुनिया छोड़ चुकी। अब शहीद के भाई जीआइसी का नाम शहीद के नाम पर किए जाने की मांग उठा रहे हैं। वर्धो निवासी बलवंत सिंह मेहरा के गांव को जोड़ने वाली सड़क बदहाली का दंश झेल रही है सड़क के हालात सरकारी नुमाइंदों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। वीर बलिदानी सपूतों ने देश के लिए अपने प्राण निछावर तो कर दिए पर तंत्र शहीदों को याद ही नहीं करता। यदि याद करता तो आज विद्यालय का नाम शहीद चंदन के नाम होता तथा बेतालघाट को जोड़ने वाली सड़क के हालात कुछ और होते।