🔳विभागीय अनदेखी से गांवों में बढ़ गया खेतीबाड़ी पर संकट
🔳लगातार नुकसान से किसानों का खेतीबाड़ी से हो रहा मोहभंग
🔳मायूस धरतीपुत्रों की बिगड़ने लगी आर्थिक स्थिति
🔳गांवों में रोजगार का एकमात्र साधन है खेती किसानी
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
बेतालघाट ब्लॉक के गांवों में खेतीबाड़ी पर संकट गहरा गया है। खेतों तक सिंचाई का पानी पहुंचाने को लाखों करोड़ों रुपये से बनाई गई सिंचाई नहरें सूखी पड़ी है। हाड़तोड़ मेहनत कर खेतों में जुटे किसानों की मेहनत को जंगली जानवर चौपट कर दे रहे हैं। लगातार नुकसान से किसानों का खेतीबाड़ी से मोहभंग होता जा रहा है। खेतीबाड़ी प्रभावित होने से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ते जा रही है।
गांवों के बाशिंदे स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं वहीं आय का एकमात्र जरिया खेतीबाड़ी भी चौपट होने के कगार पर पहुंच गई है। लगातार अनदेखी से खेती-किसानी पर संकट खड़ा हो चुका है। तमाम गांवों में खेतों तक सिंचाई का पानी पहुंचाने को बनाई गई सिंचाई नहरें पिछले तीन वर्षों से ध्वस्त है। पानी न मिलने से बुआई प्रभावित हो चुकी है। कुछ किसान हाड़तोड़ मेहनत कर खेतीबाड़ी में जुटे भी है तो जंगली सूअर, खरगोश, बंदर, लंगूर, मोर उपज को बर्बाद कर दे रहे हैं। लगातार चौपट हो रही खेतीबाड़ी से खेत बंजर होते जा रहे हैं कभी फसलों से लहलहाने वाले खेतों में अब झाड़ियां उगने लगी है। प्रगतिशील किसान कृपाल सिंह मेहरा, बिशन सिंह जंतवाल, हीरा सिंह, दीवान सिंह, झूगर सिंह आदि ने आय के एक मात्र साधन खेतीबाड़ी के चौपट होने पर निराशा जताई है। आरोप लगाया की कई बार सिंचाई नहरों को दुरुस्त करने तथा जंगली जानवरों के बढ़ते दखल को रोकने को ठोस उपाय किए जाने की मांग उठाई जा चुकी है पर कोई सुधलेवा नहीं है। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।