* कुमाऊं आयुक्त ने किया निरीक्षण, दिए दिशा निर्देश
* 34 लाख रुपये से होगी दोनो धर्मशाला की मरम्मत

सुयालबाडी़ से कुबेर सिंह जीना की स्पेशल रिपोर्ट:

सुयालबाडी़ से कुबेर सिंह जीना की स्पेशल रिपोर्ट: अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर खीनापानी क्षेत्र में स्थित जसुली धर्मशाला अब हेरिटेज का रूप लेगी। इसके लिए तैयारी तेज हो गई हैं। कुमाऊं आयुक्त अरविंद हंयाकि ने हाईवे पर दो स्थानों पर बनी धर्मशाला का निरीक्षण कर विभागीय अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए।

मंगलवार को कुमाऊँ आयुक्त अरविंद हंयाकि ने हाईवे पर स्थित रानी जसौली देवी की धर्मशाला का जायजा लिया। हाईवे के दोनों छोर पर बनी धर्मशालाओं की स्थिति देखी। विभागीय अधिकारियों को 34 लाख रुपये की लागत से होने वाली मरम्मत को दिशा निर्देश दिए। कहा कि आसपास के गांवो के लोगों को साथ लेकर धर्मशाला को भव्य रुप दिया जाए। धर्मशाला की पुरातन शैली को बरकरार रखने को कहा। राजस्व कर्मियों से धर्मशाला की भूमि को अभिलेखों में दुरुस्त करने के साथ ही क्षेत्रफल की जानकारी भी जुटाई। इस दौरान जिला पर्यटन अधिकारी अरविंद गौण, एमडी रोहित मीणा, उप जिलाधिकारी विनोद कुमार, डॉ आरएस पत्याल, तहसीलदार बरखा जलाल, कमलेश उप्रेती, भुवन भंडारी, गौरव रावत, कुबेर जीना आदि मौजूद रहे।

रानी जसुली की प्रतिमा होगी स्थापित

जसुली देवी की ऐतिहासिक धरोहर की महत्वता बनाए रखने को अल्मोड़ा से पटाल मंगाए जाएंगे। पर्यटन गतिविधि बढ़ाए जाने के लिए बकायदा जीवनदायिनी कोसी नदी में भी विभिन्न गतिविधियां का संचालन के साथ ही पार्क का भी निर्माण किया जाएगा वही धर्मशाला के समीप जसुली देवी की प्रतिमा भी बनाए जाने की योजना है।

आयुक्त से लगाई समस्याओं के समाधान की गुहार

निरीक्षण के दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने सिरसा गांव को जाने वाले मोटर मार्ग के साथ ही पैदल रास्ते के खस्ताहाल होने तथा पेयजल के संकट का की भी जानकारी कुमाऊं आयुक्त को दी। कुमाऊं आयुक्त ने तत्काल समस्याओं के समाधान का भरोसा भी दिलाया।

दारमा घाटी से हल्द्वानी तक बनाई थी धर्मशालाएं

धर्मशाला का निर्माण रानी जसुली शौक्याणी ने कराया था। पिथौरागढ़ की दारमा घाटी के दांतू गांव की रहने वाली थी। बड़े व्यापारी घराने से ताल्लुक रखती थी। तिब्बत, नेपाल आदि जगहों से उनका व्यापार था। पति की मृत्यु के बाद उनके इकलौते पुत्र की भी असमय मृत्यु हो गई और हताशा ने उन्हें इस तरह घेरा की सारा चांदी सोना अशर्फियाँ खच्चरों पर लाद वह नदी में बहा देने का निर्णय ले चुकी थी। बताते है कि जनरल रैमज़े उस समय उसी इलाक़े में कैम्प कर रहे थे। उन्होंने शौक्याणी को उनके गांव दांतू जाकर समझाया कि यदि वह इस सम्पत्ति को जनसेवा में लगाए। रानी जसुली देवी ने 170 वर्ष पूर्व दारमा घाटी से हल्द्वानी भोटिया पड़ाव तक सैकड़ों धर्मशालाओं का निर्माण कराया।