◼️कार्यों के निरीक्षण को पहुंचा जापानी व भारतीय विशेषज्ञों का विशेष दल
◼️ कार्यदाई संस्था के कर्मचारियों को दिए गए विशेष दिशा निर्देश
◼️ बारिश में भी प्रभावित नहीं होंगे कार्य
◼️ बीस करोड़ रुपये की लागत से पाडली की बिमार पहाडी़ के उपचार को किया जा रहा कार्य

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

पाडली की पहाड़ी में जापानी तकनीक से किऐ जा कार्यो की गुणवत्ता जांचने को जापानी विशेषज्ञों के साथ ही देहरादून से भारतीय विशेषज्ञों के दल ने संयुक्त निरीक्षण किया। जायका के चीफ इंजीनियर व जापानी दल के मुखिया ने कार्यदाई संस्था के कर्मचारियों को विभिन्न दिशा निर्देश दिए। विशेषज्ञों के अनुसार विशेष तकनीक से होने वाले कार्य में बरसात बाधा नहीं बनेगी।
बुधवार को हाईवे पर पाडली क्षेत्र में खतरनाक पहाड़ी की मरम्मत को जापानी तकनीक से करीब 20 करोड़ रुपये की लागत से किऐ जा रहे कार्यो की प्रगति जानने को जायका के चीफ इंजीनियर जय कुमार शर्मा तथा जापानी विशेषज्ञों की टीम के मुखिया इजिमा पाडली पहुंचे। कार्यदाई संस्था के कर्मचारियों के साथ मैराथन बैठक की। पहाडी़ के ठिक नीचे 130 मीटर दायरे में रूट एलाइनमेंट बदलने के कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया। चीफ इंजीनियर जय कुमार शर्मा ने गुणवत्ता के साथ ही समय पर कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। चीफ इंजीनियर के अनुसार पहाड़ी पर जापानी तकनीक से किए जा रहे कार्य में बरसात बाधा नहीं बनेगी। विशेष तकनीक से होने वाला कार्य लगातार जारी रहेगा जापानी विशेषज्ञो के मुखिया इजिमा ने भी कर्मचारियों से फीडबैक ले दिशा निर्देश दिए। दौरान जापानी विशेषज्ञ ईसिदा, त्रिभुवन सिंह राणा, संदीप सिंह, राजेश कुमार, सादिल कुमार, दीपक चौकर आदि मौजूद रहे।

सितंबर 2023 तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य

जापानी तकनीक से पाडली के साथ ही ऋषिकेश व रुद्रप्रयाग में भी निर्माण कार्यो में हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। पाडली की पहाडी़ से खतरा टालने को पहले चरण में पहाड़ी पर सीमेंट की जाल नुमा चट्टान तैयार की जाएगी। दूसरे चरण में पहाड़ी पर मजबूत चट्टान तक करीब 40 से 50 मीटर गहराई तक लोहे के एंगल फिट होंगे।अंतिम चरण में सुरक्षा दीवार व तेजी से फैलने वाली घास व पौधों का रोपण किया जाएगा ताकि पहाड़ी को दोबारा प्राकृतिक रूप दिया जा सके। पहाड़ी पर जापानी तकनीक से होने वाले कार्यों के लिए पिछले तीन वर्षों से कवायद जारी है पर कोरोना काल में कार्यों को गति नहीं मिल सकी अब तेजी से कार्य शुरू किया गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार सितंबर 2023 तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।