= बूंदबूंद पानी की भी परेशानी
= दो वर्षो से बंद पड़े विद्यालयों में नहीं की जा सकी व्यवस्था चाक-चौबंद
= राजकीय जूनियर हाईस्कूल स्यालीखेत में ग्रामीणों ने उठाई व्यवस्था में सुधार की मांग

(((सुनील मेहरा/हरीश चंद्र/महेन्द्र कनवाल की रिपोर्ट)))

एक ओर स्कूलों में सुविधाएं चाक-चौबंद करने के दावे किए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर गांवो में स्थित विद्यालय बदहाली का दंश झेल रहे हैं। पानी व शौचालय व्यवस्था दुरुस्त न होने से विद्यार्थियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह है कि खुले में शौच करने को मजबूर हैं। विद्यालय परिसर में बने शौचालय बद से बदतर हालत में पहुंच चुके हैं। पर कोई सुध लेवा नहीं है।
रिची भुजान मोटर मार्ग से सटे राजकीय जूनियर हाईस्कूल स्यालीखेत में करीब 90 से ज्यादा नौनिहाल अध्ययनरत हैं पर विद्यालय में व्यवस्थाएं दुरुस्त ही नहीं है। शौचालय बदतर हालत में पहुंच चुका है। जिससे नौनिहाल खुले में शौच को मजबूर हैं। गांव में स्कूलों को खुले में शौच मुक्त करने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं पर यहां हालात एकदम उलट हैं वहीं पेयजल की व्यवस्था भी ठिक ना होने से विद्यार्थी व गुरुजन परेशान है। कई बार पेयजल आपूर्ति दुरुस्त किए जाने की मांग उठाई जा चुकी है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही कई दिनों तक पेयजल आपूर्ति बाधित रहती है ग्रामीणों का आरोप है कि लंबे समय के बाद विद्यालय खोले गए हैं बावजूद व्यवस्था में कोई सुधार नहीं किया गया। बीते दो वर्ष बंद पड़े विद्यालयों में व्यवस्था चाक-चौबंद की जा सकती थी पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। प्रेम सिंह, खुशाल सिंह, पान सिंह, पूरन सिंह आदि ग्रामीणों ने तत्काल व्यवस्था में सुधार की मांग उठाई है।