= बजट ठिकाने लगाने का जरिया बनी ग्रामीण सड़कें
= लोहाली चमडिया मोटर मार्ग बना जीता जागता उदाहरण

(((अंकित सुयाल/भाष्कर आर्या/मनीष कर्नाटक की रिपोर्ट)))

ग्रामीण सड़कें बजट ठिकाने लगाने का जरिया बन चुकी है। हाईवे से तमाम गांवों को जोड़ने वाला लोहाली चमडिया मोटर मार्ग इसका जीता जागता उदाहरण बन चुका है। छह माह पूर्व करीब 17 लाख की लागत से किया गया पेच वर्क का कार्य जगह जगह दम तोड़ गया है।गुणवत्ताविहीन कार्यो से ग्रामीणों में नाराजगी है।
हाईवे से तमाम लोहाली, चमडिया, धूरा, आटावृता, छियोडी धूरा समेत तमाम गांवों को जोड़ने वाला लोहाली चमडिया मोटर बीते कई वर्षों से बदहाली का दंश झेल रहा था। बीते मार्च में लोनिवि ने करीब 17 लाख रुपये की भारीभरकम लागत से 12 किमी दायरे में पेचवर्क का कार्य कराया तब भी ग्रामीणों ने गुणवत्ता विहीन कार्यों का आरोप लगाया पर किसी ने ना सुनी। अब छह माह में सड़क दम तोड़ने लगी है। पेच वर्क जगह-जगह उखड़ने लगा है।जिससे ग्रामीणों को आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बार-बार आवाज उठाए जाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही। ग्रामीणों ने गुणवत्ताविहीन कार्यों का आरोप लगा जांच की मांग उठाई है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि जल्द सुधार ना हुआ तो आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी इधर संबंधित विभाग के सहायक अभियंता सुरेश चंद्र के अनुसार अभी कार्य पूरा नहीं हुआ है। बरसात निपटने के बाद मोटर मार्ग दुरुस्त कर लिया जाएगा।