= आक्सीजन सिलेंडर में कैद होकर रह गई महत्वाकांक्षी योजना
= नौ माह बाद भी नहीं चढ़ सकी परवान
= कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बावजूद दावे खोखले

(((ब्यूरो चीफ विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))

कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार व दूसरे वेरिएंट ओमिक्रोन की दस्तक के बीच सभी तैयारियों को चाक-चौबंद करने के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अस्पताल उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत अस्पतालों में मरीजों के बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाने की योजना हवा में लटक गई है जबकि बीते वर्ष मई में योजना की कवायद शुरू हुई थी। नौ माह बाद भी योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी है।

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत नैनीताल जनपद के आठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन पाइप लाइन के जरिए प्रत्येक बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाने की योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी है। बीते मई में संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को देख योजना का सर्वे शुरू हुआ। बकायदा इसके लिए कंट्रोल रूम तैयार करने की योजना भी बनाई गई। सीएचसी गरमपानी के साथ ही बेतालघाट, सुयालबाडी़, रामगढ़, भवाली, भीमताल, कालाढूंगी कोटाबाग आदि अस्पतालों में प्रत्येक वार्ड तक ऑक्सीजन पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाने की कार्ययोजना तैयार की गई पर नौ माह बीत जाने के बावजूद अब तक योजना पूरी ही नहीं हो सकी है। हालांकि दूसरी ओर कोरोना संक्रमितो को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के लाख दावे किए जा रहे हैं। पर पाइपलाइन के जरिए प्रत्येक वार्ड तक ऑक्सीजन पहुंचाने की योजना दम तोड़ चुकी है। लोग कई बार मांग उठा चुके हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। इधर मुख्य चिकित्सा अधिकारी नैनीताल डा. भागीरथी जोशी ने दावा किया है कि जल्द ही सभी जगह कार्य शुरू होगा इसके लिए एस्टीमेट भी तैयार किया गया था बताया कि पता चला है कि किसी कंपनी को कार्य दिया गया है जल्द कार्य शुरू होगा।