= पांच महीने से हवा में झूल रहे क्रश बैरियर की सुध लेवा कोई नहीं
= दुर्घटना का बना हुआ है बड़ा खतरा
(((सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्र में सड़कें सरकारी बजट को ठिकाने लगाने का जरिया बन चुकी है। एक बार बजट खर्च होने के बाद विभागीय अधिकारी व कार्यदाई संस्था पलट कर देखने को तैयार नहीं है। विभागीय अफसर व कार्यदाई संस्था ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ करने पर आमादा है। हालात यह है कि बीते छस माह से तमाम गांवों को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण मोटर मार्ग पर क्रश बैरियर हवा में झूल रहे हैं। बावजूद कोई सुध लेने वाला नहीं है।
उत्तराखंड प्रदेश में अफसरशाही सिर चढ़कर बोल रही है। करोड़ों रुपये खर्च कर सड़कका निर्माण किया जाता है पर निर्माण करने के बाद अफसर व बड़ी-बड़ी बाहरी कंपनियों के ठेकेदार वापस रोड की सुध लेने की जिम्मेदारी नहीं समझते। संपर्क साधने पर विभागीय अधिकारी ठेकेदार की पांच साल ठेकेदार की जिम्मेदारी का हवाला दे पल्ला झाड़ लेते हैं पर कार्यदाई संस्था के ठेकेदार दोबारा पलटने को तैयार नहीं। रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे से तमाम महत्वपूर्ण गांवों को जोड़ने वाले रिची भुजान मोटर मार्ग पर चापड़ के समीप पांच माह भूधंसाव से क्रश बैरियर हवा में झूल रहे हैं बावजूद कोई सुध लेवा नहीं है। कई बार विभागीय अधिकारियों को सूचना दी गई है पर विभागीय अधिकारी ठेकेदार पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। लोनिवि के अधिकारी एनएच तो एनएच विभाग लोनिवि की जिम्मेदारी बता रहा है पर मोटर मार्ग को की सुध लेने वाला कोई नहीं है जबकि करोड़ों रुपये खर्च कर सुरक्षात्मक कार्य व अन्य कार्य इस मार्ग पर किए गए हैं। हैरत की बात यह है कि जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली सरकार व उसके नुमाइंदे भी चुप्पी साधे हैं। टूनाकोट, मंडलकोट, हल्द्वीयानी, बग्वान, बिल्लेख, लछीना, मनारी आदि तमाम गांवों के ग्रामीण जान जोखिम में डाल आवाजाही करने को मजबूर है। लोगों ने विभागीय अफसरों पर उपेक्षा का आरोप लगाया है दो टूक चेतावनी दी है कि यदि जल्द मोटर मार्ग की सुध नहीं ली गई तो विभागीय अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा।