◼️कोरोना व आपदा में पहले ही उठा चुके भारी नुकसान
◼️ अब ठीक समय पर बारिश ना होने उपज के खराब होने का अंदेशा
◼️ काश्तकारों को उचित मुआवजा दिए जाने की मांग

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

इंद्रदेव के रुठ जाने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा गई हैं। रानीखेत खैरना स्टेट हाइवे से सटे कुंजगढ़ घाटी के गांवों के किसानों की उपज खेतों में सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है। लगातार नुकसान उठा रहे किसानों का खेतीबाड़ी से मोहभंग होने लगा।

स्टेट हाइवे से सटे कुंजगढ़ घाटी के तमाम गांवों में फूल व बंद गोभी टमाटर, मूली, आलू की बंपर पैदावार होती है पर पिछले दो वर्षों में कोरोना संकट तथा उसके बाद आपदा ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया। सब कुछ ठीक होने की उम्मीद ले किसानों ने दोबारा खेतों को रुख किया पर अब ठीक समय पर इंद्रदेव के रूठने से किसान मायूस हो चुके हैं। टूनाकोट, विशालकोट, स्यालीखेत, सुखोली, मंडलकोट आदि गांवों में किसानों की शिमला मिर्च, हरी मिर्च, फूलगोभी आदि की उपज सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है। बैंकों से ऋण लेकर तक किसानों ने खेती बाड़ी शुरू की पर बारिश ना होने से उपज को नुकसान होने का अंदेशा बढ़ गया है। वर्षा आधारित खेती होने के कारण किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं पर बारिश होने का नाम नहीं रही। स्थानीय सुंदर सिंह करायत, डूंगर सिंह, पूरन सिंह, आनंद सिंह, नीमा करायत, खड़क सिंह, नीरज सिंह आदि लोगों ने किसानों को क्षति का मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है।