= हलक तर करने को सुबह तीन बजे से शुरू हो जाती है जद्दोजहद
= डेढ़ महीने से गांव की आपूर्ति ठप
= रोजाना पानी के लिए नाप रहे छह किमी की दूरी
(((सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्रों के सुदूर गांवों के हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। सर्दियों में भी ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। आलम यह है कि सुबह तीन बजे से ग्रामीण हलक तर करने की जद्दोजहद में जुट जाते हैं। कई परिवारों की दिनचर्या ही पानी ढोने में बीत रही है।
हिडा़म भुजान मोटर मार्ग पर स्थित ताडी़खेत तथा बेतालघाट ब्लॉक से सटे बलियाली व नौड़ा गांव के वाशिंदे बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। हालात यह है कि इंसान ही नहीं बल्कि मवेशी भी पानी के लिए परेशान है। ग्रामीणों की मानें तो सुबह तीन बजे से गांव से करीब छह किमी दूर कुरुटी प्राकृतिक जल स्रोत से पानी ढोने की जद्दोजहद शुरु हो जाती है। मवेशियों को भी गांव से दूर स्रोत के नजदीक तक लाना पड़ता है। बलियाली व नौडा़ गांव के 80 से ज्यादा परिवार इन दिनों काफी परेशान है। गांव को कालाखेत(बेतालघाट ब्लॉक) पंपिंग पेयजल योजना से पानी की आपूर्ति की जाती है पर पिछले डेढ़ माह से घरों में पानी की बूंद तक नहीं टपक रही। ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार आवाज उठाए जाने के बावजूद पेयजल व्यवस्था सुचारु नहीं की जा रही। स्थानीय नैन सिंह राणा, खीमा नंद, पुष्कर जोशी, जगत सिंह, ललित सिंह, सतीश तिवारी आदि ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो गरमपानी स्थित जल संस्थान के मुख्यालय में धरना दिया जाएगा।