◼️ आठ महीने से जीआइसी रातीघाट में पेयजल का अकाल
◼️ हैंडपंप के पानी से ही तैयार हो रहा मध्यान भोजन
◼️ शिक्षक व अभिभावक कई बार उठा चुके पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग
◼️ सहायक अभियंता बोले – दिए जाएंगे जल्द आपूर्ति सुचारू करने के निर्देश
(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों का कोई सुध लेवा नहीं है। कई विद्यालय शिक्षक विहीन हैं तो कई विद्यालयों में पेयजल आपूर्ति कई माह से ठप पड़ी हुई है। जीआइसी रातीघाट के करीब तीन सौ से ज्यादा नौनिहाल विद्यालय के समीप लगे हैंडपंप से जंग लगा बदबूदार पानी पीने को मजबूर हैं। दूषित पानी पीने से नौनिहालों में संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा कई गुना बढ़ चुका है बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं किया जा रहा। हालांकि संबंधित विभाग के सहायक अभियंता ने जल्द पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा किया है।
दरअसल बीते वर्ष अक्टूबर में हुई मूसलाधार बारिश के बाद विद्यालय की आपूर्ति को बनी पेयजल योजना ध्वस्त हो गई तब से आज तक कई बार आवाज उठाए जाने के बावजूद विद्यालय में पानी की बूंद तक नहीं टपकी। मजबूरी में नौनिहालों को विद्यालय के समीप लगे हैंडपंप से पानी पीना पड़ रहा है।नौनिहालों के अनुसार हैंडपंप में भी जंग लगा बदबूदार पानी आ रहा है मजबूरी में उसे ही पीना पड़ रहा है। मध्यान भोजन में भी इसी पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। अभिभावकों की मानें तो कई बार पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग उठाई जा चुकी है पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आलम यह है की पानी ना आने के बावजूद विद्यालय प्रबंधन पानी का बिल का भुगतान भी कर रहा है। दूषित पानी पीने से नौनिहालों के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव होने की आशंका कई गुना बढ़ गई है बावजूद जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं। विभागीय लापरवाही पर गांव के लोगों ने भी नाराजगी जताई है। जल संस्थान के सहायक अभियंता दलीप बिष्ट के अनुसार अस्थाई रूप से पेयजल व्यवस्था की गई थी। दोबारा विद्यालय में तत्काल पेयजल आपूर्ति दुरुस्त हो इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।