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वाहन से गांव तक आपूर्ति किए जाने की उठाई मांग
उपेक्षा पर किया आंदोलन का ऐलान अच्छा

((पंकज कुमार की रिपोर्ट))

गांवों में विकास के लाख दावे किया जाए पर धरातल में दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सुदूर गांवों के लोग रसोई गैस के लिए पैदल पांच किलोमीटर की दूरी नाप रहे है। जिससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सुदूर धारी, उल्गौर, जाडा़पानी गोल्ड जाना पानी समेत अन्य तमाम गांवों के वाशिंदे मोटर मार्ग होने के बावजूद आज भी रसोई गैस के लिए पैदल दूरी नाप रहे हैं। करीब डेढ़ सौ से ज्यादा परिवार रसोई गैस के लिए के लिए कई किलोमीटर दूर चलना पड़ रहा है। रसोई गैस का वाहन गांव तक नहीं पहुंचता। परेशानी में ग्रामीणों को सिर पर ढोकर रसोई गैस घरों तक पहुंचानी पड़ती है। यूं तो सरकारें गांव में विकास को लाख दावे करें पर दावे खोखले साबित होते जा रहे हैं। आज भी कई गांव विकास से कोसों दूर हैं। स्थानीय महेंद्र रावत, गोविंद सिंह रावत, दीपचंद्र, पंकज भट्ट, किशोर पांडे, जीवन सिंह, महेंद्र सिंह बिष्ट, दीप चंद्र कांडपाल, कमल नेगी, हीरा लाल, हरीश चंद्र, गोपाल चंद, गणेश चंद आदि ग्रामीणों ने रसोई गैस के वाहन को गांव तक पहुंचाने की मांग उठाई है कहा कि गांवों तक रसोई गैस का वाहन ना पहुंचने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि गांव तक रसोई गैस की आपूर्ति नहीं की गई तो फिर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।