🔳हजारों रुपये किराया खर्च पहुंचे थे कैंची क्षेत्र
🔳पुलिस प्रशासन के निर्णय से निराश होकर लौटे वापस
🔳हाइवे किनारे दुकानें न लगाने दिए जाने से हुआ भारी नुकसान
🔳निजी पार्किंग में दुकानें लगवाकर कई व्यापारियों के हितों से खिलवाड़ का लगाया आरोप
🔳भविष्य में अब मेले में न आने की कही बात
🔳आदेशों की उड़ी धज्जियां, कई लोग शिप्रा नदी में लगाते रहे डुबकी

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

सुप्रसिद्ध कैंची धाम में लगने वाले मेले में अलग-अलग राज्यों से कारोबार के सिलसिले में पहुंचे व्यापारी मायूस हो गए। प्रशासन के फैसले से इस वर्ष हाइवे पर दुकानें प्रतिबंधित की गई थी। हजारों रुपये के सामान के साथ एक दिन पहले ही कैंची क्षेत्र पहुंचे व्यापारी सामान तक नहीं खोल सके।बंद सामान के साथ बैठे रहे व्यवसायी शाम को निराश होकर वापस लौट गए।

प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी उत्तरप्रदेश, हरियाणा व अन्य क्षेत्रों से व्यापारी विभिन्न सामानों की बिक्री करने कैंची क्षेत्र पहुंचे। बीते शुक्रवार शाम मालवाहक वाहनों की दस से पंद्रह हजार रुपये की बुकिंग कर व्यापारी मेले में पहुंचे। श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या से कारोबार अच्छा होने की उम्मीद से पहुंचे व्यापारियों को जब प्रशासन के निर्णय का पता चला तो वे मायूस हो गए। शनिवार को मेला शुरु होने पर व्यापारियों ने पुलिस प्रशासन से मान मनोबल भी की पर आखिरकार मायूसी हाथ लगी। मेले के दिन दूर दराज के प्रदेशों से आए व्यापारी बिक्री को लेकर आए सामान तक को नहीं खोल सके। दिनभर निराश होकर बैठे रहे। देर धाम व्यापारी दोबारा पैसे खर्च कर वापस लौट गए। बरेली (उत्तर प्रदेश) से पहुंचे कपड़ा व्यापारी जायद, सोनू तथा अभिषेक के अनुसार यदि समय पर दुकान ना लगे जाने की सूचना मिलती तो शायद वह आते ही नहीं। कहा की इस वर्ष मुनाफे के उलट नुकसान उठाना पड़ा है। आरोप लगाया की कुछ लोगों को निजी पार्किंग में दुकानें लगाने दी गई जबकि कई लोगों के हितों से खिलवाड़ किया गया। साफ कहा नियम सबके लिए एकसमान होने चाहिए। निराश मन से अब दोबारा मेले में न आने की बात कही।

आदेशों की उड़ी धज्जियां, शिप्रा में लगाते रहे डुबकी

कैंची क्षेत्र में बहने वाली शिप्रा नदी में इस वर्ष आवाजाही प्रतिबंधित की गई थी बावजूद सुबह से ही भारु संख्या में नदी में डुबकी लगाते रहे। कैंची गोशाला के नजदीक नदी में डुबकी लगाने को लोगों में होड़ मची रही। एक साथ कई लोगों के नदी में नहाने उतरने से खतरा भी बढ़ गया बावजूद जिम्मेदार अफसरानों की नजर नदी क्षेत्र की ओर नहीं गई जबकि पूर्व में मेले की तैयारियों को लेकर हुई बैठक में जिलाधिकारी वंदना सिंह ने विभागीय अधिकारियों को नदी को स्वच्छ बनाए रखने के लिए नदी में आवाजाही प्रतिबंधित करने के निर्देश दिए थे पर शनिवार को शिप्रा नदी में नहाने उतरने लोगों ने जिलाधिकारी के आदेश तक को ताक पर रख दिया। दोपहर में नदी क्षेत्र में नहाने वाले लोगों की संख्या में भारी इजाफा भी हो गया।

छोटे छोटे बच्चों को कंधे पर लेकर दो किमी की नापी दूरी

स्थापना दिवस पर इस वर्ष पुलिस प्रशासन के नियमों से जहां एक ओर कई व्यवस्थाएं चाक चौबंद रही वहीं दूसरी और छोटे छोटे बच्चों को लेकर बाबा के दरबार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का भी सामना करना पड़ा। अल्मोड़ा, रानीखेत, द्वाराहाट व गरमपानी, बेतालघाट, सुयालबाड़ी समेत तमाम गांवों से मंदिर आने वाले श्रद्धालु शटल सेवा से पनीराम ढाबे तक तो पहुंच गए पर वहां से छोटे छोटे बच्चों को लेकर दो किमी दूर तक पैदल ही रवाना होना पड़ा।

जांच के बाद श्रद्धालुओं ने किया मंदिर में प्रवेश

शनिवार सुबह से ही कैंची धाम में बाबा भक्तों का तांता लगा रहा। मुख्य गेट पर पुलिस व एलआइयू के कर्मचारी मेटल डिटेक्टर से एक एक कर जांच में जुटे रहे। गहन जांच व विशेष निगरानी के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिर में प्रवेश किया। मंदिर परिसर में भी हर कदम पर कारसेवक व्यवस्था बनाने में जुटे रहे।