🔳लगातार खतरा बढ़ने के बावजूद जिम्मेदार अनजान
🔳रामगाढ़ पुल पर रेत के कट्टों से दुर्घटना टालने की कवायद
🔳विभागीय अफसरों की कार्यप्रणाली पर व्यापारियों ने उठाए सवाल
🔳सहायक अभियंता ने किया जल्द निरीक्षण कर सुरक्षा उपाय करवाने का दावा

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे पर खैरना से भवाली तक लगभग बीस किमी दायरे में बीस से भी ज्यादा स्थानों पर दुर्घटना का जोखिम बना हुआ है बावजूद एनएच प्रशासन अनदेखी पर आमादा है। लगातार बढ़ते जा रहे खतरे से कभी भी बड़ी घटना सामने आने का अंदेशा भी बना हुआ है। लगातार बढ़ रहे खतरे के बीच यात्री व पर्यटक जान जोखिम में डाल आवाजाही को मजबूर हैं। व्यापारियों व पंचायत प्रतिनिधियों ने संबंधित विभाग की कार्यशैली पर रोष जताया है। जल्द खतरे वाले स्थानों पर सुरक्षा के ठोस उपाय किए जाने की मांग उठाई है।
कुमाऊं की लाइफ लाइन के नाम से पहचान रखने वाले अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे पर कदम कदम पर दुर्घटना का जोखिम बना हुआ है। अतिसंवेदनशील दोपांखी, रातीघाट, रामगाढ़, पाडली, कैंची, निगलाट समेत तमाम स्थानों पर लगभग बीस से ज्यादा स्थानों पर खतरा मुंह उठाए खड़ा है। सुरक्षित यातायात के लिए लगाए गए क्रश बैरियर लंबे समय से क्षतिग्रस्त हालत में है। वहीं कई जगह सुरक्षा कोई प्रबंध नहीं है। जगह जगह ने खतरे वाले स्थान भी उभर चुके हैं। एनएच प्रशासन के अफसर रोजाना इसी हाइवे से आवाजाही करते हैं पर अफसरों को खतरा नजर नहीं आ रहा। रामगाढ़ पुल पर तो रेत के कट्टे रखकर दुर्घटना टालने की जद्दोजहद की गई है। जबकि इस जगह लगातार वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर नदी में गिरते पर संबंधित विभाग सुरक्षा के ठोस उपाय करने में नाकाम साबित हो रहा है। निगलाट क्षेत्र में तीखे मोड़ पर सुरक्षा के कोई उपाय न होने लगातार खतरा बढ़ता ही जा रहा है। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कुबेर सिंह जीना, व्यापारी नेता गजेंद्र सिंह नेगी, मनीष तिवारी, फिरोज अहमद, गोविन्द सिंह नेगी, महेंद्र सिंह, विक्रम सिंह आदि ने आरोप लगाया की लगातार सुरक्षा संबंधी कार्य किए जाने की मांग उठाई जा चुकी है पर एनएच प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा। चेताया है की यदि महत्वपूर्ण हाईवे पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया गया तो फिर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी। एनएच के सहायक अभियंता रमेश चंद्र पांडे के अनुसार निरीक्षण करवाया जाएगा। जिस स्थानों पर खतरा है वहां सुरक्षा संबंधी उपाय करवाए जाएंगे।