= छह माह से पांच वर्ष तक के बच्चो में लक्षण
= बेतालघाट ब्लाक के तमाम गांवो से स्वजन बच्चों को लेकर पहुंच रहे अस्पताल
= बाल रोग विशेषज्ञ का दावा सही जानकारी है बचाव
(((ब्यूरो चीफ विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))
बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांवों के नौनिहालों में खून की कमी के लक्षण तेजी से बढ़ रहे हैं। समुचित भोजन व सही जानकारी का अभाव इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है। सीएचसी गरमपानी के बाल रोग विशेषज्ञ के अनुसार बचपन से खून की कमी भविष्य में शारीरिक व मानसिक विकास भी प्रभावित कर सकती है। इसके लिए उन्होंने समय पर चिकित्सक से परामर्श लेने व सरकार से मिलने वाला महत्वपूर्ण मात्र व बाल सुरक्षा कार्ड के अध्ययन की जरूरत बताई है।
बेतालघाट ब्लॉक के सिमलखा, हल्द्वीयानी, बेतालघाट, बसगांव, डोलकोट, बेतालघाट, आटावृता, लोहाली, खैरना आदि गांवों से स्वजन पिछले कुछ समय से नौनिहालों को लेकर अस्पताल की ओर रुख कर रहे हैं। अस्पताल में जांच के बाद नौनिहालों में खून की कमी पाई गई है। हालांकि समुचित उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है पर जानकारी के अभाव इसका बड़ा कारण माना गया है। सीएचसी गरमपानी की बाल रोग विशेषज्ञ डा. साक्षी भुड्डी के अनुसार छह माह से पांच वर्ष तक के पचास फ़ीसदी नौनिहालों में खून की कमी पाई जा रही है इसका एक प्रमुख कारण सही जानकारी ना होना है। बाल रोग विशेषज्ञ के अनुसार समुचित भोजन सही जानकारी व समय पर चिकित्सक के परामर्श से नौनिहालों को बीमारी से बचाया जा सकता है। कहा कि खून की कमी से भविष्य में नौनिहालों के शारीरिक व मानसिक विकास में भी प्रभाव पड़ सकता है। जिस कारण बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आती है।
ये है लक्षण
बच्चों में चिड़चिड़ापन तथा भूख न लगना व थकावट होने के साथ ही उम्र के साथ ही शारीरिक व मानसिक विकास न होना।बच्चे की हथेली सफेद होना तथा सही भोजन न मिलने से कब्ज की शिकायत भी रहना।
ऐसे करें बचाव
छह माह तक मां क ही दूध पिलाना आवश्यक है उसके बाद समुचित आहार देना आवश्यक होता है। चिकित्सक के परामर्श से सही जानकारी ली जाए तथा भ्रांतियों से दूर रहें। मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड की अनदेखी न करें। बच्चों नौनिहालों को पैक्ड फूड जैसे चिप्स, बिस्कुट आदि न दी जाए। घर पर तैयार फलों का जूस सही मात्रा में देना चाहिए।
“उम्र के साथ बच्चों को पौष्टिक आहार देना जरूरी है। मातृ व बाल सुरक्षा कार्ड की जानकारी ली जाए।समय पर चिकित्सा परामर्श लेकर नौनिहालों को गंभीर बीमारी से बचाया जा सकता है।
– डॉक्टर साक्षी बुड्डी, बाल रोग विशेषज्ञ, सीएचसी गरमपानी।