water-problem

= कई बार आवाज उठाई पर नहीं हो रही सुनवाई
= आश्वासन के सिवा और कुछ भी नहीं मिल रहा
= ग्रामीणों का चढ़ रहा पारा

(((सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))

पहाड़ में पहाड़ जैसी मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही। गांव के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। मजबूरी में दूरदराज से सिर पर पानी ढोकर घर तक पहुंचाया जा रहा है। पानी ढोना ही गांव के लोगों की दिनचर्या बन चुकी है। बावजूद कोई सुध लेने वाला नहीं है।
भुजान रिची मोटर मार्ग पर स्थित विशालकोट गांव के हाल बेहाल है। करीब चालीस परिवार बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। कई बार आवाज उठाए जाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही कई किलोमीटर दूर से सिर पर पानी ढोना मजबूरी बन चुका है। स्थानीय खुशहाल सिंह करायत का कहना है कि वर्षों से गांव पानी के लिए जूझ रहा है कई बार आवाज उठाई जा चुकी है पर हमेशा आश्वासन ही मिला है। कोई गांव की सुध लेने वाला नहीं है। सुबह से शाम तक पानी ढोना दिनचर्या बन चुका है। विवाह आदि समारोह में हालात और विकट हो जाते हैं मेहमानों तक को पानी ढोना पड़ता है। स्थानीय राजेंद्र सिंह करायत, गोपाल सिंह, देवेंद्र सिंह फर्त्याल, प्रकाश सिंह फर्त्याल, पवन सिंह, गिरीश सिंह, मनोज सिंह करायत, भुवन सिंह, नवीन सिंह, पान सिंह आदि लोगों ने तत्काल गांव में पेयजल व्यवस्था दुरुस्त किए जाने की मांग उठाई है। चेताया है कि यदि ठोस कदम नहीं उठाया गया तो ग्रामीण आंदोलन को विवश होंगे।