= पेट्रोल से संचालित मशीन से हो रही समय की बचत
= लोगों ने उठाई अनुदान में मशीनें उपलब्ध कराए जाने की मांग
(((सुनील मेहरा/विरेंद्र बिष्ट/फिरोज अहमद की रिपोर्ट))
पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अक्टूबर, नवंबर का महीना काफी कामकाज वाला माना जाता है। मवेशियों के लिए घास इकट्ठा करने का कार्य जोर-शोर से चलता है। सुदूर क्षेत्रों से भी लोगों को कार्य करने के लिए गांव बुलाया जाता है ऐसे में अब गांव के लोग हाईटेक तरीका भी अपना रहे हैं। हाथ से होने वाली घास कटाई की जगह अब पेट्रोल से चलने वाली ग्रास कटर मशीन ने ले ली है इससे काफी समय की भी बचत हो रही है।
गांव में इन दिनों घास कटाई तथा इकट्ठा करने के साथ अन्य कार्य भी जोर शोर से चल रहे हैं । इसे स्थानीय भाषा में असौज का नाम दिया जाता है। एक और मवेशियों के लिए घास इकट्ठा की जा रही है तो वहीं विभिन्न प्रकार की दालें गहत, मास, भट्ट आदि की भी छटाई शुरू हो गई है। कार्य करने के लिए गांवों के लोग अपने सगे संबंधियों को भी दूर दराज से गांव बुला लेते हैं अब इस बार गांव के लोगों ने घास कटाई के लिए हाईटेक तकनीक अपना ली है। टूनाकोट क्षेत्र के बासिंदे ग्रास कटर मशीन से घास कटाई कर रहे हैं पेट्रोल से चलने वाली मशीन से काफी समय की बचत हो रही है। ग्रामीणों की माने तो ग्रास कटर मशीन पांच लोगों के बराबर कार्य कर रही है जिससे करीब प्रतिदिन दो हजार रुपये की बचत हो रही है। ग्रास कटर मशीन से ही धान की कटाई भी आसानी से की जा सकती है। स्थानीय उषा देवी, भावना देवी, सुनीता देवी, पुष्पा देवी, तारा देवी, गुड्डी देवी, शीला देवी आदि लोगों के अनुसार ग्रास कटर मशीन से समय पर कार्य होने से वह घर के कामकाज भी समय पर निपट रहा हैं। फिलहाल मशीन हल्द्वानी से खरीदी गई है। ग्रामीणों ने सरकारी अनुदान पर मशीनें उपलब्ध कराए जाने की भी मांग उठाई है ताकि अन्य लोग भी लाभान्वित हो सके।