= उपज तबाह होने के बावजूद नही मिला समुचित क्लेम
= कास्तकार ने लगाया ठगने का आरोप
= मामले पर न्यायोचित कार्रवाई की उठी मांग

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

आपदा व कोरोनाकाल में कोसी घाटी के किसानो को हुए नुकसान की अभी भरपाई भी नही हो सकी थी की अब बीमा कंपनी ने किसानो के जख्मो में नमक छिड़क उनको हरा कर दिया है। किसानो का आरोप है की फसल बीमा के नाम पर उनको को ठगा गया है। आपदा में खेती तबाह होने के बावजूद समुचित क्लेम नही दिया गया है। किसानो ने मामले पर न्यायोचित कार्रवाई की मांग उठाई है।
कोसी घाटी के किसानो की किस्मत साथ ही नही दे रही। पिछले दो वर्ष में कोरोना संकट की मार से उपज खेतो में सड़कर खराब हो गई। सब कुछ ठिक होने की उम्मीद ले किसानो ने खेतो में हाड़तोड़ मेहनत कर उपज की बुवाई की पर बीते अक्टूबर में आपदा ने किसानो को गहरे जख्म दे दिए। गांवो में खेत रोखड़ में तब्दील हो गए। उपज भी खराब हो गई। हालांकि किसानो ने उपज का बीमा कंपनी से बीमा भी कराया। उम्मीद थी की तबाह हुई उपज का समुचित क्लेम मिलेगा तो कुछ राहत मिल सकेंगी। पर हालात उलट हो गए। संबंधित बीमा कंपनी किसानो को समुचित बीमा राशि ही नही दे सकी है। जिस कारण किसान परेशान है। उपज चौपट होने के बाद अधिकतम दो हजार रुपये से ज्यादा का क्लेम नही मिल सका है। किसानो ने बीमा कंपनी पर किसानो को ठगे जाने का खुला आरोप लगाया है।कास्तकार बिशन जंतवाल, जीवन सिंह, महेंद्र सिंह, नंदन सिंह, गोधन सिंह आदि किसाने के अनुसार बीमा कंपनी ने किसानो को उनके हक का क्लेम तक नही दिया है जो निंदनीय है। किसानो ने सरकार से मामले पर ठोस कदम उठा कार्रवाई की मांग उठाई है।