= गांव के वाशिंदे बेहतर उपचार को परेशान
= गांव में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के दावे फेल
= आखिर कब मिलेंगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं बड़ा सवाल
= चुनाव के वक्त बड़े-बड़े वादे धरातल में खोखले

(((कुबेर सिंह जीना/महेंद्र कनवाल/अंकित सुयाल की रिपोर्ट)))

गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं के हाल बद से बदतर हो चुके है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती न होने से गांव में बने अस्पताल रेफर सेंटर बन चुके हैं। बेहतर उपचार को दूरदराज जाना ग्रामीणों के लिए मजबूरी बन चुका है। गरीब परिवार बेहतर उपचार को तरस रहे हैं।
बेतालघाट ब्लॉक मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्त्री रोग, बाल रोग तथा हड्डी रोग विशेषज्ञ ही नहीं है । बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को अस्पताल पहुंचने वाले लोगों को निराश ही वापस लौटना पड़ता है। गरमपानी अस्पताल में भी स्त्री रोग, ईएनटी समेत अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। सुयालबड़ी अस्पताल में भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। लाखों करोड़ों रुपए से भवन तैयार किए गए हैं पर चिकित्सक के अभाव में ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा। बेहतर उपचार के लिए अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को रेफर कर दिया जाता है जिससे लोगों के ऊपर आर्थिक बोझ के साथ ही तमाम समस्याएं खड़ी होती है। गरीब परिवारों के आगे बहुत बड़ा संकट है। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली सरकारी दावे गांवों में फेल साबित हो रहे हैं। चुनावों में हमेशा स्वास्थ्य का मुद्दा उठता है। बाकायद राजनैतिक पार्टियों के घोषणापत्र में भी बढ़-चढ़कर बातें की जाती हैं पर चुनाव निपटने के बाद स्वास्थ्य संबंधी बड़ा मुद्दा गोल हो जाता है। लोग हमेशा स्वास्थ्य सुविधा की आवाज उठाते हैं पर कोई सुनवाई नहीं होती। अब क्षेत्रवासियों ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती ना होने पर आंदोलन की रणनीति बनाने का मन भी बना लिया है।