= ना अटल ना राजीव गांधी आवास, मिला तो महज आश्वासन
= बदहाल हालत में पहुंचे भवनों में रहने को मजबूर ग्रामीण
= कई बार उठाई आवाज पर नहीं हुई सुनवाई

(((सुनील मेहरा/विरेन्द्र बिष्ट/दलिप सिंह नेगी की रिपोर्ट)))

सरकार बदलती हैं मुखिया बदल जाते हैं पर नहीं बदलते तो बस ग्रामीणों के हालात। कभी राजीव गांधी आवास तो कभी अटल आवास के नाम से सांत्वना दी जाती है पर आज भी ग्रामीण जर्जर बदहाल हालत में पहुंच चुके भवनों में जिंदगी गुजार रहे हैं। कभी भी बड़ा हादसा सामने आ सकता है पर आज तक आश्वासनों के अलावा कुछ भी ना मिल सका ग्रामीणों ने प्रभावितों को भवन निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत किए जाने की पुरजोर मांग उठाई है साफ कहा है कि यदि अब उपेक्षा हुई तो सड़क पर उतर मोर्चा खोल दिया जाएगा।

मामला अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे से सटे चापड़ गांव का है। गांव की शोभा राणा पिछले कई वर्षों से एक अदद आवास के लिए दर दर की ठोकर खा रही है। कई बार आवाज उठाए जाने के बावजूद आज तक उसे भवन आवास स्वीकृत ही नहीं हुआ। तीन बेटियों, पति व खुद खतरे की जद में है। आवास जर्जर हालत में पहुंच चुका है पर कोई सुध लेवा ही नहीं वही। बारिश बढ़ने पर दूसरे के मकान में सिर्फ छुपाना पड़ता है । गांव की ही लक्ष्मी देवी भी कई बार आवाज उठा चुकी है पर कुछ भी हासिल नहीं हो रहा। वह भी हमेशा खतरे की जद में है। सिर ढकने के लिए पुराना बदहाल मकान बारिश में खतरे को दावत दे रहा है। बावजूद कोई देखने वाला ही नहीं है। कभी राजीव गांधी आवास योजना तो कभी अटल आवास योजना के तहत लाभ दिलाने का आश्वासन तो दिया जाता है पर धरातल पर कुछ भी नहीं मिल रहा जिससे प्रभावित परिवार निराश है। ग्रामीण भी प्रभावित परिवारों को आवासीय सुविधा दिलाने की मांग उठा रहे हैं पर जिम्मेदारों के कानों तक आवाज ही नहीं पहुंच रही। ग्रामीणों ने दो टूक चेतावनी दी है कि यदि अब उपेक्षा हुई तो प्रभावित परिवारों को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया जाएगा। इधर ग्राम प्रधान गिरीश चंद आर्या के अनुसार प्रभावित परिवारों के आवास संबंधी अभिलेख ब्लॉक मुख्यालय में दे दिए गए हैं पर पता चला है कि अभी भी दोनों परिवारों के आवास प्रतीक्षा में है। प्रयास किया जाएगा कि जल्द ही प्रभावित परिवारों को आवास उपलब्ध हो सके।