= दो किमी दूर प्राकृतिक जलस्रोत से प्लास्टिक के पाइप के जरिए गांव तक पहुंचाया पानी
= विभाग से कि अब लोहे के पाइप बिछाए जाने की मांग

(((सुनील मेहरा/फिरोज अहमद/हरीश चंद्र की रिपोर्ट)))

रानीखेत खैरना स्टेट हाइवे से सटे चापड़ गांव के बाशिंदों ने पेयजल संकट के चलते अब गांव में पेयजल आपूर्ति को नया विकल्प खोज निकाला है। ग्रामीणों ने गांव से करीब दो किलोमीटर दूर कुरुटी प्राकृतिक जल स्रोत से प्लास्टिक के पाइपों से गांव तक पानी पहुंचाया है। अब ग्रामीणों ने जल संस्थान से लाइन को दुरुस्त कर लोहे के पाइप लगाए जाने की मांग उठाई है।
दरअसल चापड़ गांव के सौ से ज्यादा परिवारों को गोलागाढ़ प्राकृतिक जल स्रोत से पानी की आपूर्ति की जाती है पर आए दिन गांव के लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है। ऐसे में गांव के लोग कई किलोमीटर दूर जाकर प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी सिर पर ढोकर घर तक पहुंचाते हैं जिससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने समस्या के समाधान को खुद ही आगे कदम बढ़ाए। ग्रामीणों ने गांव से करीब दो किमी दूर कुरुटी प्राकृतिक जल स्रोत से प्लास्टिक के पाइपों के जरिए गांव तक पानी पहुंचाया है। जिससे गांव के लोगों को समुचित पानी मिल रहा है। पर प्लास्टिक के पाइप के कई बार जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से दिक्कत बढ़ रही है ऐसे में स्थानीय दीपक जोशी, उमेश बिष्ट, पूरन राणा, गणेश जोशी आदि ने जल संस्थान से प्लास्टिक की पाइप के बदले लोहे के पाइप लगाए जाने की पुरजोर मांग उठाई है ताकि गांव के लोगों को समुचित पेयजल आपूर्ति हो सके। चेताया है कि यदि उपेक्षा की गई तो फिर आंदोलन की रणनीति भी तैयार की जाएगी ।