🔳 उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हुआ सख्त
🔳 नदियों को प्रदूषित होने से बचाने को उठाए जाएंगे ठोस कदम
🔳 पट्टा धारकों को श्रमिकों के शौचालय व नहाने को करने होंगे ठोस उपाय
🔳 खुले में शौच करने व नदी में नहाने व कपड़े धोने से नदी होती है प्रदूषित
🔳 नियमों के उल्लघंन पर होगी सख्त कार्रवाई

[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]

उपखनिज पट्टों में कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए पट्टाधारकों को शौचालय व नहाने के लिए ठोस उपाय करने होंगे। नदी प्रदूषित न हो इसके लिए उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड गंभीरता से कदम उठाने शुरु कर दिए है। नदी प्रदूषित होने पर सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। एनजीटी के क्षेत्रीय अधिकारी अनुराग नेगी के अनुसार नियमों का उल्लघंन मिलने पर उपखनिज पट्टे को निरस्त करने तक की संस्तुति उच्चाधिकारियों को की जाएगी।

जनपद में नदियों से उपखनिज निकासी की प्रक्रिया शुरु करने की तैयारी है‌। कोसी, दाबका, गौला नदी से लाखों कुंतल उपखनिज निकाले जाने को उपखनिज पट्टे स्वीकृत किए गए हैं। श्रमिकों के जरिए उपखनिज निकाला जाएगा। खनिज निकासी के साथ साथ नदियों को प्रदूषित होने से भी बचाया जाएगा। अमूमन पट्टे धारकों के श्रमिक नदी क्षेत्र में ही तंबू गाढ़ रहने सहन करते हैं। नदी क्षेत्र में खुले में शौच करने, नदी के बहते पानी में कपड़े धोने व नहाने से नदी प्रदूषित हो जाती है। पवित्र कोसी नदी के पानी का इस्तेमाल तो गांवों के बाशिंदे पीने तक में करते हैं। ऐसे में संक्रामक बिमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। नदी के पवित्र जल से धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं। नदियों को प्रदूषित होने से बचाने को उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी कमर कस ली है। उपखनिज पट्टों में कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए शौचालय व नहाने की ठोस व्यवस्था न होने पर संबंधित विभाग कड़ी कार्रवाई करेगा यहां तक की नियमों का पालन न होने पर पट्टे को निरस्त करने की संस्तुति तक की जाएगी। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अनुराग नेगी के अनुसार पट्टा धारकों को श्रमिकों के लिए सुविधाजनक शौचालय व नहाने के लिए उचित व्यवस्था करनी होगी ताकी नदियां प्रदूषित न हो। साफ कहा की यदि नियमों का उल्लघंन हुआ तो उपखनिज पट्टे को निरस्त करने की संस्तुति उच्चाधिकारियों को की जाएगी।