◼️ न जाने कितने बेरोजगारों के सपनो से कर गया खिलवाड़

◼️ जो थे नालायक हाकम ने सेटींग गेटिंग के फार्मूले से बना दिया लायक
◼️ हाकम तो बस मछली, असल मगरमच्छ अब भी गलियारो में रहे तैर
◼️ शहीद राज्य आंदोलनकारियों ने क्या इन्ही सब के लिए दिया था बलिदान, क्या हाकम और उसके आकाओ के लिए बना था राज्य, चौतरफा गूंज रहे सवाल

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

प्रदेश के गढ़वाल मंडल के एक जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह की सत्ता के गलियारों तक ऐसी पहुंच की वो कुछ ही वर्षो में नकल माफिया बन गया। सत्ता में पहुंच का ऐसा फायदा उठाया की सरकारी नौकरी जेब में लेकर घुमने लगा। सत्ता में ऐसी पकड़ की नालायकों को लायक बनाने लगा। सत्ता का ऐसा घोडा़ बना हाकम सिंह की नौकरियों की बोली लगाने लगा। पर अभी असली फिक्चर बाकी है। असल मगरमच्छ अब भी गलियारों में ही घुम रहे है। बिना वरदहस्त के हाकम की इतनी हिम्मत नही की वो सरकारी नौकरियों व राज्य के लाखो बेरोजगारों के सपनों से खिलवाड़ कर ले। राज्य के लाखो युवा भविष्य से खिलवाड़ करने वाले हाकम की करतूत जान चुके है। अब इंतजार है तो बस हाकम को सत्ता के गलियारों तक पहुंचाने वाले का। बडा़ सवाल उठ रहा है की क्या शंतरज का घोडा़ हाकम गढ़वाल मंडल के साथ कुमाऊं मंडल में भी सक्रिय था। हाकम के कारनामे तो निश्चित रुप से इसकी पुष्टी करते है। रह रह कर सवाल उठ रहे है की क्या उतराखंड राज्य की मांग करने वाले वीर बलिदानी सपूतो ने जान की कुर्बानी दे इस राज्य की बुनियाद यहीं दिन देखने को रखी की हाकम जैसे माफिया राज्य के लाखो युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर सके या फिर हाकम जैसे गुर्गो को आगे कर असल खेल खेलने वालो उन लोगो के लिए जिन्होने इस राज्य को मनमानी का अड्डा बना लिया। जिनके लिए राज्य महज भष्ट्राचार का जरिया बन चुका है। आज निश्चित रुप से उन बलिदानी सपूतो की आत्मा बेहद दुखी जरुर होंगी जिन्होने राज्य की मांग को लेकर अपना जीवन कुर्बान कर दिया।