= परेशान काश्तकारों को मुआवजा दिए जाने की उठी पुरजोर मांग
= दो टूक – सुध न लेने पर आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतना होगा खामियाजा
(((अंकित सुयाल/भाष्कर आर्या/हरीश चंद्र की रिपोर्ट)))
लगातार नुकसान की मार झेल रहे पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को मुआवजे की मांग जोर पकड़ने लगी है। लोगों ने प्रभावित किसानों को मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई है। दो टूक चेतावनी भी दी है कि यदि पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को मुआवजा न दिया गया तो आगामी विधानसभा चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा।
कोरोना संकट के बाद से ही पर्वतीय क्षेत्र के धरतीपुत्र परेशान हैं। लगातार नुकसान पर नुकसान हो रहा है। बैंकों से ऋण लेकर खेती किसानी करने वाले काश्तकारों के हाल भी बेहाल है। खेती किसानी से मोहभंग होना लाजमी है। कभी मौसम साथ नहीं दे रहा तो कभी जंगली जानवर उपज को रौंद रहे हैं। पशुपालक भी परेशान हैं। बेतालघाट व ताडी़खेत ब्लॉक से सटे तमाम गांव वर्ष आधारित खेती पर निर्भर है। सिंचाई योजनाएं भी नहीं है। हाड़तोड़ मेहनत कर उपज का उत्पादन करते हैं पर इस पिछले दो वर्षों से लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। गजेंद्र नेगी, वीरेंद्र बिष्ट, महेंद्र सिंह, कैलाश तिवारी, पूरन लाल साह, सुनील मेहरा, कुबेर सिंह जीना, अंकित सुयाल, हरीश चंद्र, महेन्द्र कनवाल, हीरा सिंह, मनीष कर्नाटक, हरीश कुमार आदि लोगों ने किसानों को मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई है। चेताया है कि यदि किसानों को क्षति का मुआवजा न दिया गया तो आगामी विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा।