राज्य गठन के बाद भी नही सुधरे हालत
विकास योजनाओ का खाका खिचने वाला भवन खुद के विकास को तरसा
गरमपानी : राज्य आंदोलनकारियों के संघर्ष व शहीदों की शहादत के बाद बमुश्किल राज्य तो मिल गया पर 21 वर्ष बीत जाने के बावजूद मूलभूत जरुरत तो छोड़िए विकास का खाका खींचने के लिए बनाए गए पंचायत घर की ही सुध नही ली जा सकी। 1980 में बने पंचायत घर में आज तक नई ईट तक लग सकी। नए पंचायत घर का निर्माण तो छोड़िए।
पंचायतों में विकास कार्यों की रूपरेखा तैयार करने को खैरना क्षेत्र में लाखों की लागत से पंचायत भवन तैयार किया गया। समय बीतने के साथ ही पंचायत घर भी दम तोड़ गया। वर्तमान में हालात बद से बदतर हो चुके हैं। पंचायत घर गंदगी से पटा पड़ा है। वहीं खिड़की दरवाजे भी टूट चुके हैं। खस्ताहाल पंचायत घर की दशा नीति निर्माताओं की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है। रह-रहकर सवाल उठ रहा है कि जब विकास कार्यों का खाका तैयार करने के लिए पंचायत घर तक नहीं है तो ग्रामीण क्षेत्र में विकास की और क्या राह देखें। विभागीय अनदेखी से पंचायत घर के बदहाल होने से लोगो में गहरा रोष भी व्याप्त है। स्थानीय लोगो के अनुसार कई बार नए पंचायत घर की मांग उठाई गई पर कोई सुनवाई नहीं हुई। खस्ताहाल पंचायत घर में बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। बताया कि आज तक एक भी पंचायत की खुली बैठक उक्त पंचायत घर में नहीं हो सकी है। आपदा काल में शासन प्रशासन ने आपदा प्रभावितों के रहने के लिए पंचायत घरों में रहने की व्यवस्था के आदेश दिए पर छडा़ खैरना का खस्ताहाल पंचायत घर आपदा प्रभावितों के काम भी ना सका। क्षेत्रवासियों ने नए पंचायत घर निर्माण की मांग उठाई है।