◼️ वर्षों से चार अस्पतालों में नहीं है पर्यावरण मित्र की तैनाती
◼️ अस्पताल की सफाई व्यवस्था चिकित्सकों के भरोसे
◼️ गांव में स्थित अस्पतालों में व्यवस्थाएं राम भरोसे
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))
पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित अस्पतालों के हालात राम भरोसे हैं। कई अस्पताल चिकित्सक विहीन है तो कहीं चिकित्सक ही अस्पताल की साफ सफाई करने को मजबूर है। बेतालघाट ब्लॉक के चार स्वास्थ्य केंद्रों में कई वर्षों से पर्यावरण मित्रो की तैनाती ही नहीं है जिस कारण सफाई व्यवस्था चिकित्सक व अन्य स्टाफ के ऊपर है। प्रभारी चिकित्साधिकारी के अनुसार पर्यावरण मित्रों की तैनाती को उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया जा चुका है।
सरकार गांवो में स्थित अस्पतालों में व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करने के लाख दावे करें पर धरातल की तस्वीर दूसरी ही हकीकत बयां कर रही है। पर्यावरण मित्रों की तैनाती न होने से चिकित्सक अस्पताल पहुंचते ही पहले साफ सफाई करने को मजबूर हैं। पीएचसी कालाखेत, ऊंचाकोट, सूखा दनखोरी, तथा धनियाकोट में पिछले पांच वर्षों से पर्यावरण मित्रो की तैनाती ही नहीं है। अस्पताल की साफ-सफाई चिकित्सकों के जिम्मे है। हालात यह है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भी तैनाती नहीं है। स्टाफ की कमी से चिकित्सकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। अस्पताल पहुंचते ही साफ-सफाई पहला काम होता है उसके बाद मरीज देखे जाते हैं। स्वास्थय केंद्रों कर्मचारियों की तैनाती न होने से क्षेत्रवासियों ने भी नाराजगी जताई है। स्वास्थ्य केंद्रों में तत्काल चतुर्थ श्रेणी व पर्यावरण मित्रों की तैनाती की पुरजोर मांग उठाई है। प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. सतीश पंत के अनुसार कर्मचारियों की तैनाती के लिए उच्चाधिकारियों को पत्राचार किया जा चुका है।