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लगातार हो रहे नुकसान से बिगड़ने लगी किसानों की आर्थिक स्थिति

गरमपानी : पिछले वर्ष कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन में हुए किसानों को नुकसान तथा अब खेती चौपट होने से किसान मायूस है। किसानों को मुआवजे के साथ ही बैंकों का ऋण माफ किए जाने की भी मांग उठने लगी है।
किसानों को हो रहे नुकसान का मामला किसी से छुपा नहीं है लॉकडाउन के वक्त काश्तकारों की काफी उपज खेतों में ही सड़ कर बर्बाद हो गई सब कुछ ठीक होने की उम्मीद में किसानों ने वापस खेतों को रुख किया और तोड़ मेहनत भी की पर समय पर बारिश ना होने से किसानों को फिर मायूस होना पड़ा। मटर का महंगा बीज लाकर किसानों ने बुवाई की तैयारी भी की पर बारिश के इंतजार में मटर की बुवाई ना हो सकी। जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा कई किसान बैंको पर आधारित है ऋण लेकर खेती किसानी करते हैं पर लगातार हो रहे नुकसान से किसानों को ब्याज पर ब्याज देना पड़ रहा है। उपज के ना होने से किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है जिससे पारिवारिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है। कुछ गांवों में उपज की पैदावार हो भी रही है तो जंगली जानवर सब कुछ चौपट कर दे रहे हैं। बेतालघाट ब्लॉक के बजेडी़, धनियाकोट, सिमलखा, सिल्टोना, बारगल, कफुल्टा तथा ताड़ीखेत ब्लॉक के मंडलकोट, टूनाकोट, चापड़, सुखोली, लछीना, मनारी आदि तमाम गांवों में किसानों को पिछले दस महीनों में भारी नुकसान उठाना पड़ा है। नव चेतना मंच के महेंद्र सिंह बिष्ट, बिशन जंतवाल, राजेंद्र सिंह, अभय साह, हेमंत तिवारी, हेमंत बिष्ट, रमेश आदि लोगों ने किसानों को उचित मुआवजा दिए जाने के साथ ही बैंकों का ऋण माफ किए जाने की मांग उठाई है।