= बैठक कर तमाम बिंदुओं पर की चर्चा
= मानदेय समेत तमाम मुद्दे जोर शोर से उठे
= उपेक्षा पर आंदोलन की रणनीति तैयार करने का ऐलान

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर हुई बैठक में तमाम बिंदुओं पर चर्चा हुई। बैठक में 15 वन पंचायतों के सरपंचों ने हिस्सा लिया। वन पंचायतों की सीमाओं तथा वन पंचायत के सरपंचों के मानदेय व वन पंचायतों से जुड़े मुद्दे उठे।
वन पंचायत सरपंच कमल सुनाल के संचालन में हुई बैठक में वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के संयोजक तरुण जोशी ने वन पंचायतों में संचालित की जा रही सरकारी योजनाओं की जानकारी तथा माइक्रो प्लान बनाने में लिए जा रहे पैसे पर सवाल पूछे जाने पर जोर दिया। वन पंचायतों के इतिहास की जानकारी सरपंचों के साथ साझा की।गोपाल लोधियाल के द्वारा तिलाड़ी का जिक्र करते हुए बताया गया कि किस तरह से लोगों के द्वारा जनता के सामूहिक वन अधिकारों के लिए लोगों के द्वारा संघर्ष किया गया और पंचायत जैसी व्यवस्था एक लंबे संघर्ष के बाद सामुदायिक वन प्रबंधन की व्यवस्था लोगों के हाथ में आई। लगातार सरकार के द्वारा वन पंचायत नियमावली में फेर बदल कर लोगों की स्वायत्तता वन पंचायतों से छीनी गई।वन पंचायतों को मूल अस्तित्व में लाने के लिए वन पंचायतों को पुनः अपने पारंपरिक अधिकारों को लेकर वन अधिकार कानून अधिनियम 2006 के अंतर्गत वन पंचायतों के अधिकारों को पुनः बहाल किया जा सकता है। और वन पंचायतों के क्षेत्रफल को बढ़ाया जा सकता है। वन पंचायत संघर्ष मोर्चा वन पंचायतों के सरपंचों के मानदेय को लेकर संगठन सांगठनिक ढांचे को व्यापक कर वन पंचायतों से से जुड़ी समस्याओं पर कार्यक्रम बनाकर राज्य में वन पंचायतों के साथ संपर्क कर सरकार के ऊपर दबाव बनाने का काम करेगा। बैठक में भीम सिंह नेगी, कमल सुनाल समेत 17 वन पंचायतों के सरपंच शामिल हुए। बैठक सरपंच रमेश सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में हुई।