= सरकारी मदद व पेंशन के लिए तरस रहा बालम
= ग्रामीण प्रधानमंत्री तक लगा चुके गुहार पर कोई सुनवाई नहीं
= बालम की सुध लेने की एक बार फिर उठाई मांग

(((सुनील मेहरा/कुबेर जीना/अंकित सुयाल की रिपोर्ट)))

नियति की मार ने उसे परेशान कर दिया पर कहीं से भी कोई मदद नहीं मिल रही। तंत्र ने भी मुंह मोड़ लिया है। ऐसे में परेशानी बढ़ती ही जा रही है। गांव के लोगों ने मदद की गुहार लगाई है।
रानीखेत खैरना स्टेट हाईवे सटे चापड़ गांव के बालम सिंह विचित्र बीमारी से जूझ रहा हैं। पहले सब कुछ ठीक था पढ़ाई लिखाई में भी बालम सिंह अव्वल था सरकारी नौकरी की तैयारी भी कर रहा था पर कुछ वर्ष पूर्व अचानक उस पर नियति की मार पड़ गई। शरीर में विचित्र बीमारी आ गई है। एकाएक पीठ की ओर हड्डियां बढ़ने लगी। परेशान बालम ने कई चिकित्सकों को दिखाने का प्रयास किया पर किसी को भी बीमारी समझ में नहीं आई। हालात बिगड़ते जा रहे है। गरीब परिवार का बालम बीपीएल परिवार से है। घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। ऐसे में गांव के लोगों ने कई बार जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी, विधायक, सांसद मुख्यमंत्री के बाद प्रधानमंत्री को भी पत्र भेज बालम सिंह को पेंशन तथा अन्य मदद दिलाने की गुहार लगाई पर आज तक तंत्र ने उसकी कोई सुध न ली जिससे ग्रामीण निराश है। स्थानीय शंभू दत्त जोशी, उमेद सिंह बिष्ट, पूरन सिंह राणा, बालम सिंह नेगी, मदन सिंह राणा, पूरन सिंह बिष्ट, शिवराज सिंह, दीपक जोशी, धन सिंह नेगी, देवी दत्त जोशी आदि ने शासन प्रशासन से बालम को दिव्यांग पेंशन समेत आर्थिक मदद मुहैया कराए जाने की मांग की है।