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= करोड़ों की लागत से बने बाजार में आज तक शुरू नहीं हो सका किसानों को लाभान्वित करने का कार्य
= अब न्यायालय ने लगाई किसी भी निर्माण पर रोक

(((हरीश चंद्र/पंकज भट्ट/अंकित सुयाल की रिपोर्ट)))

पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों की किस्मत ही साथ नहीं दे रही या फिर नीति निर्माता किसानों की किस्मत से खिलवाड़ कर रहे हैं। करोड़ों रुपया खर्च कर बनाया गया आपणु बाजार से किसान आज तक लाभान्वित ही नहीं हो सके। अब हालात यह है कि उच्च न्यायालय ने आपणु बाजार में किसी भी निर्माण कार्य व गतिविधि पर फिलहाल रोक लगा दी है। मंडी समिति के अधिकारियों के अनुसार न्यायालय के अग्रिम आदेशों तक अब किसी भी प्रकार का कार्य आपणु बाजार में नहीं किया जा सकता।

दरअसल चार वर्ष पूर्व करोड़ों रुपयों की लागत से अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे स्थित खैरना क्षेत्र के समीप आपणु बाजार का निर्माण किया गया। मकसद था कि किसानों के खेतों में होने वाली उपज को आपुण बाजार के माध्यम से बड़ी मंडियों तक पहुंचाया जा सके। साथ ही आपुण बाजार में पहुंचने वाली उपज का भी किसानों को बेहतर दाम मिल सके पर योजना परवान नहीं चढ़ सकी। पहले आपुण बाजार निर्माण के बाद कई वर्षों तक बाजार में किसी भी गतिविधि की शुरुआत ही नहीं हो सकी तो फिर अब कुमाऊँ रेजिमेंटल सेंटर ने आपुण बाजार की भूमि पर अपना हक जता कोर्ट में मामला दायर कर दिया। सेना के अधिकारियों ने दावा किया कि यह जमीन सेना की है। इस पर अतिक्रमण कर दिया गया है। मंडी समिति व सेना का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फिलहाल परिसर में किसी भी प्रकार का निर्माण व गतिविधि पर रोक लगा दी है। मंडी समिति हल्द्वानी के सचिव विश्व विजय सिंह देव के अनुसार हाईकोर्ट ने फिलहाल किसी भी प्रकार के निर्माण को गतिविधि पर रोक लगा दी है। अग्रिम आदेशों तक कुछ भी नहीं किया जा सकता। फिलहाल अग्रिम आदेशों का इंतजार किया जा रहा है।

बाईस नाली भूमि पर बना है बाजार

अल्मोड़ा हल्द्वानी हाईवे पर खैरना चौराहे के समीप आपणु बाजार करीब बाईस नाली भूमि पर बना हुआ है। करोड़ों रुपए से निर्माण होने के बावजूद किसानों को बाजार का लाभ ही ना मिल सका। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब मामला पहले से ही विवादित था तो सरकारी धन की बर्बादी क्यों की गई यह बड़ा सवाल है। क्षेत्रवासियों ने इसे काश्तकारों के साथ छल करार दिया है।