= मटर, प्याज, धान, लहसुन के खेतो में सिंचाई को तरसे धरतीपुत्र
= चौपट होती खेती से होने लगा मोहभंग
(((हरीश कुमार/भाष्कर आर्या/पंकज नेगी/हरीश चंद्र की रिपोर्ट)))
बेतालघाट के तमाम गांवों में खेती-बाड़ी पर संकट गहरा गया है। मटर, प्याज, धान, लहसुन समेत तमाम नगदी फसलो के लिए वरदान माने जाने वाली सिंचाई नहर में पानी न होने से काश्तकार परेशान है। लगातार नुकसान होने से खेतीबाड़ी किसानो का मोहभंग होने लगा।
बीते दो वर्षों से लगातार किसानों को कोरोना संकट के चलते नुकसान उठाना पड़ा। सब कुछ ठीक होने की उम्मीद ले किसानों ने वापस खेतों की ओर रुख किया तो आपदा के बाद ध्वस्त हुई सिंचाई नहर से खेतों तक पानी न पहुंचने के कारण अब उपज प्रभावित होने लगी है। प्रगतिशील किसान कृपाल सिंह मेहरा, बिशन जंतवाल, हरीश कुमार, कुबेर सिंह आदि लोगों के अनुसार खेतों तक सिंचाई का बड़ा संकट पैदा हो गया है। सिंचाई नहरे ध्वसत होने से खेतो तक सिंचाई का पानी पहुंचाना मश्किल हो चुका है। ऐसे में उपज के बर्बाद होने का खतरा बढ़ चुका है। लगातार नुकसान पर नुकसान से किसान घाटे में आ चुका है। बीज का पैसा तक निकलना कठिन हो चुका है। गांव में आय का एकमात्र जरिया खेतीबाड़ी से भी किसानो का मोहभंग होता जा रहा है। ग्रामीणों ने किसानो को मुआवजा देने तथा सिंचाई नहरो को दुरुस्त करने की पुरजोर मांग उठाई है।