◾कोसी घाटी में कभी मौसम तो कभी जंगली जानवर बन रहे किसानों के लिए आफत
◾ बाहरी क्षेत्रों से लाकर गांवों में बंदर छोड़ने का आरोप
◾ काश्तकारों ने उठाई बंदरों के आतंक से निजात दिलाए जाने की मांग

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

कोसी घाटी के काश्तकार एक के बाद एक नई परेशानियों से जूझ रहे हैं। कभी मौसम की मार ने खेती-बाड़ी चौपट कर दी तो अब बंदरों का आतंक किसानों के लिए सिरदर्द बन चुका है। गेहूं बुवाई के दौरान बंदर खेतों में बीज की बर्बादी कर रहे हैं जिससे उपज प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है।
कोलोन तथा आपदा काल से निपटने के बाद किसानों ने सब कुछ ठीक होने की उम्मीद ले दोबारा खेतों की ओर रुख किया। हाड़तोड़ मेहनत कर खेत तैयार किए। महंगे दामों पर बीज खरीद गेहूं की बुवाई शुरू की पर अब बंदर खेतों में उत्पात मचाकर बुवाई प्रभावित कर दे रहे हैं‌ प्रगतिशील किसान बिशन जंतवाल, कृपाल सिंह मेहरा, दयाल सिंह, हीरा सिंह, जीवन सिंह आदि ग्रामीणों के अनुसार सुबह बुआई की जा रही है तो दोपहर में बंदरों के झुंड खेतों में पहुंच जा रहे हैं। खेतों में बीज को बर्बाद कर दे रहे हैं। आरोप लगाया है कि बाहरी क्षेत्रों से लाकर गांवो में बंदर छोड़े जा रहे हैं जिससे बंदरों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। किसानों ने वन विभाग से बंदरों के आतंक से निजात दिलाए जाने की मांग उठाई है ताकि खेती-बाड़ी प्रभावित ना हो।