= चार माह से सिंचाई के पानी को तरस रहे किसान
= कई बार उठाई आवाज नही हुई सुनवाई
= खेती बचाने की खातिर खुद उठाया नहर दुरुस्त करने का जिम्मा

(((हरीश कुमार/भाष्कर आर्या/हरीश चंद्र/पंकज नेगी की रिपोर्ट)))

सिंचाई नहर के बदहाल होने से खेतो तक पानी न पहुंच पाने से परेशान धरतीपुत्र आखिरकार खुद ही नहर को दुरुस्त करने में जुट गए है। विभाग पर उपेक्षा का आरोप लगाया।कहा की खेतो तक पानी न पहुंचने के कारण उपज बर्बाद होती जा रही है।पर संबधित विभाग को लेनादेना नही है।आखिरकार खुद ही नहर को दुरुस्त करने का निर्णय लेना पडा़।
बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांवो में आपदा के बाद से ही सिंचाई नहरे ध्वस्त है। सिंचाई का पानी खेतो तक नही पहुंच पाने से किसानो को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सिंचाई विभाग ने नहरो की मरम्मत को करोडो़ रुपयो का प्रस्ताव बनाकर भी उच्चाधिकारियों को भेज दिया है पर बजट की स्वीकृति न मिलने से नहरो की मरम्मत का कार्य शुरु नही हो सका है। ब्लॉक के बादरकोट तथा तल्लाकोट गांव के कास्तकारों ने आखिरकार खुद ही गांव की सिंचाई नहर को दुरुस्त करने की ठान ली है बकायदा नहर को दुरुस्त करने का कार्य शुरु कर दिया है। किसान लाभाशु सिंह के अनुसार जब कई बार आवाज उठाने के बावजूद कोई सुध नही ली गई तो खेती बचाने को आखिरकार खुद ही नहर को दुरुस्त करना पड़ रहा है। जगह जगह नहर में भरे मलबे की सफाई शुरु कर दी गई है। कास्तकार महेंद्र सिंह, धरम सिंह, जीवन सिंह, गोपाल सिंह, बचे सिंह, विनोद जोशी आदि नहर को दुरुस्त करने में जुटे है।