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= योजना के खस्ताहाल होने से बंजर हुई कई हेक्टेयर कृर्षि भुमि
= मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठी
= ग्रामीण बोले सरकारी बजट की ऐसी बर्बादी कहीं नहीं देखी

(((कुबेर सिंह जीना/पंकज नेगी/महेंद्र कनवाल की रिपोर्ट)))

किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर बनाई गई योजनाएं विभागीय अनदेखी के चलते ठप पड़ी हुई है। बावजूद कोई सुध लेवा नहीं है। योजना के बंद पड़े होने से करीब बीस हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि पर बंजर पड़ चुकी है। लोगो ने मामले की जांच की मांग भी उठाई है।
जलागम विभाग की अधिकांश योजनाएं लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद दम तोड़ चुकी हैं। अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे से सटे गंगोरी गांव की करीब बीस हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि को सिंचित करने के लिए वर्ष 2017- 18 में करीब सात लाख रुपये से अधिक की धनराशि से कोसी नदी से खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए योजना तैयार की गई। मकसद था किसानों की भूमि सिंचित कर बेहतर उपज की पैदावार करना पर योजना शुरू होने से पहले ही दम तोड़ गई। योजना से किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए गुप्तेश्वर मंदिर के समीप बकायदा टैंक निर्माण भी किया गया। योजना सौर ऊर्जा से संचालित करने को बड़े-बड़े पैनल भी लगाए गए पर पर विभागीय अनदेखी के चलते आज तक खेतों तक पानी की बूंद तक नहीं पहुंची है जिसके चलते कई हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर हो चुकी है। गुप्तेश्वर मंदिर के समीप बना टैंक झाड़ियों से पटा पड़ा है जो विभागीय अनदेखी की हकीकत बयां कर रहा है। सौर ऊर्जा के पैनल भी अब क्षतिग्रस्त होने लगे हैं। लोगो ने लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद लाभ न मिलने पर इसे सरकारी धन की बर्बादी करार दिया है। योजना की बदहाल हालत में पडे़ होने से लोगों में गहरा रोष भी व्याप्त है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी बजट खर्च कर लाखों रुपये से योजना तो तैयार की गई पर ग्रामीणों को आज तक योजना का लाभ ही नहीं मिल सका है। लोगों ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग भी उठाई है।