🔳 उचित मूल्य न मिलने से मंडियों को फल भेजने में कतरा रहे बागबान
🔳 किराया भुगतान में ही चला जा रहा अधिकांश पैसा
🔳 पहले ओलावृष्टि व अंधड़ ने पहुंचाया है नुकसान
🔳 फलों को सड़क किनारे फेंकना बन चुकी मजबूरी
🔳 पंचायत प्रतिनिधियों ने उठाई मुआवजे की मांग
[[[[[[[[ टीम तीखी नजर की रिपोर्ट ]]]]]]]]]
पर्वतीय क्षेत्रों के किसान लगातार नुकसान होने से मायूस हो चुके हैं। ओलावृष्टि ने पहले ही किसानों के सपने चकनाचूर कर डाले अब बेहतर दाम न मिलने से किसानों को एक बार फिर नुकसान उठाना पड़ रहा है लागत तक वसूल न होने से किसान फलों को बड़ी मंडी भेजने के बजाय सड़क किनारे फेंकने को मजबूर हो चुके हैं। पंचायत प्रतिनिधियों ने किसानों को नुकसान का उचित मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई है।
बेतालघाट व रामगढ़ ब्लॉक के फल उत्पादक गांवों के किसान खुद की किस्मत को कोस रहे हैं। कुछ समय पूर्व हुई ओलावृष्टि से किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा। आंधी तूफान से अधपके फल पेड़ों से गिर गए तो वहीं ओलावृष्टि से आड़ू, पुलम व खुमानी के फलों को गहरे जख्म दे डाले। रामगढ़ ब्लॉक के फल उत्पादक टिकुरी, बड़ी बांज, सुयालगाढ, रौलखेत, घ्वेती, सिमराड़, बिचखाली समेत तमाम गांवों में बागबानों को आसमानी आफत से नुकसान पहुंचने के बाद अब बाजार से बेहतर दाम न मिलने से निराश होना पड़ रहा है। फल उत्पादक किसान कल्याण सिंह नेगी, ख्याली राम, सतीश सिंह, नारायण सिंह, लक्ष्मण सिंह, भीम सिंह मेहत, धन सिंह नेगी, विजय जोशी, धन सिंह, नर सिंह, भीम सिंह, किसन सिंह आदि के अनुसार बड़ी मंडियों से भी फल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। अधिकांश पैसा किराए आदि के भुगतान में ही खर्च हो जा रहा है। ऐसे में अब फलों को बड़ी मंडियों में भी भेजने में भी नुकसान ही उठाना पड़ रहा है। फल उत्पादक गांवों की सड़कों किनारे फेंके गए फल किसानों को नुकसान की हकीकत बयां कर रहे हैं। ग्राम प्रधान इंदु जीना, कुबेर सिंह जीना, मदन मोहन सुयाल, विरेन्द्र सिंह, प्रकाश जोशी आदि ने शासन प्रशासन से किसानों को नुकसान का उचित मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग की है।