🔳बहन मेहनत करना और परिवार का नाम आगे बढ़ाना
🔳 जांबाज संजय अफसरों का भी चहेता, मुश्किल ऑपरेशन में शामिल होने की भरता हामी
🔳 अंतिम समय में भी दोस्तो की चिंता करता रहा वीर सपूत
((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

मां भारती की आन, बान, शान को सर्वोच्च न्यौछावर करने वाले रातीघाट के बलिदानी सपूत को आखरी विदाई देने को गांवो से हजारों लोग वीर सपूत के आवास पर पहुंचे। स्वजनों के करुण क्रंदन ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। वीर जांबाज के बचपन के साथी व स्थानीय लोगो की आंखे वीर सपूत के साथ बिताए पलों को याद कर छलक उठी। जांबाज के साथी गौरव पडलिया, योगेश, हर्षित, नरेंद्र, मोहित, मनीष, तारा, महेश, पान सिंह आदि पार्थिव शरीर पहुंचने से पहले आवश्यक तैयारियों में जुटे रहे। जिन लोगों ने कभी जांबाज संजय के साथ बचपन बिताया वो साथी वीर सपूत व लाडले संजय की अंतिम यात्रा के लिए फूलों की माला बनाने में मदद करते रहे।

बहना मेहनत करना और परिवार का नाम आगे बढ़ाना

वीर सपूत संजय के अंदर देशभक्ति कूट कूट कर भरी थी। कुछ कर गुजरने का जज्बा ही था की उसका चयन पैरा कमांडो के रुप में हुआ था। वीर संजय को परिवार के सदस्यों को बहुत प्यार करता। सबका ध्यान रखता। रुंधे गले से बहन विनीता कहती हैं की भाई हमेशा देश के लिए मर मिटने की बातें करता। कहता की तुझे भी मेहनत कर कुछ करना है ताकि परिवार का नाम आगे बढ़े। पिता दीवान सिंह भी बेटे को याद कर फफक पड़े। कहते हैं की बेटे को खोने का गम बहुत है पर फक्र है की बेटा देश के लिए बलिदान हो गया।

जांबाज संजय अफसरों का भी चहेता, मुश्किल ऑपरेशन में शामिल होने की भरता हामी

वीर जांबाज संजय अपनी काबिलियत से अफसरों का भी चहेता बना। हमेशा मुश्किल ऑपरेशन में शामिल होने के लिए हामी भर देता। शहीद के चाचा सेवानिवृत्त कै. विक्रम सिंह के अनुसार डलहौजी (हिमाचल) में तैनाती के दौरान 22 सैनिक पैरा कमांडो के लिए प्रशिक्षण के लिए गए। जहां संजय समेत एक अन्य जवान का चयन पैरा कमांडो प्रशिक्षण के लिए हुआ। कै. विक्रम सिंह कहते हैं की हमेशा कठिन अभियानों में शामिल होने को संजय हामी भर देता। जांबाज संजय की अधिकांश तैनाती बारामुला, कुपवाड़ा, बेलगाम, राजौरी जैसे खतरनाक स्थानों पर तैनाती रही।

अंतिम समय में भी दोस्तो की चिंता

दिलेर संजय सिंह बिष्ट पूरे क्षेत्र का दुलारा रहा। जब भी छुट्टियों में घर पहुंचता तो सब से मिलने जाता। पैतृक घर हली में भी घर घर लोगों से मिलने पहुंचता। दोस्तों का दोस्त संजय समेशा सबसे प्यार करता। अंतिम समय में भी संजय को दोस्तों की चिंता सताते रही। भाई नीरज बताते हैं की रजौरी में चले आपरेशन से दो दिन पहले संजय से दूरभाष पर बातचीत हुई। संजय ने चौरसा गांव निवासी इंडियन आयल कंपनी में तैनात कैलाश की भाई की शादी में मदद करने को कहा।

खोल दो यातायात परेशान न हों लोग

शहीद संजय के पार्थिव शरीर के रातीघाट पहुंचने की तैयारियां सुबह से ही शुरु हो गई। पुलिस प्रशासन भी व्यवस्था में जुटा रहा। घोड़ाखाल स्थित हैलिपैड से वाहन के जरिए शहीद का पार्थिव शरीर रातीघाट पहुंचाए जाने को लेकर हाइवे पर यातायात रोक दिया गया। शहीद के भाई नीरज ने चौकी प्रभारी दिलीप कुमार से यातायात सुचारु करने को कहा। नीरज ने चौकी प्रभारी से कहा की किसी को कोई परेशानी न हो।