Tea bud and leaves

= तीस तीस के दल में बागानो तथा नर्सरिओं में कार्यरत श्रमिकों का होगा प्रशिक्षण
= विभाग बना रहा रोड मैप


(((हरीश चंद्र/कुबेर जीना/महेंद्र कनवाल की रिपोर्ट)))

त्तराखंड चाय विकास बोर्ड के बागानों व नर्सरियों में कार्यरत श्रमिकों को अब दार्जिलिंग व आसाम के विशेषज्ञ विशेष प्रकार का प्रशिक्षण देंगे। चाय की उच्च गुणवत्ता व बेहतर उत्पादन में शुमार दोनो राज्यो के विशेषज्ञ उत्तराखंड के श्रमिकों को बेहतर उत्पादन के गुर सिखाने के साथ ही चाय से जुड़ी अन्य बारीकियां भी समझाएंगे।
उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के कुमाऊं व गढ़वाल मंडल में स्थित बागान व नर्सरियों में करीब चार हजार से अधिक श्रमिक कार्यरत है। पहले श्रमिकों को प्रशिक्षण के लिए असम भेजा जाता था पर अब श्रमिकों को विशेष प्रशिक्षण देने के लिए कवायद तेज हो गई है। इसके लिए बकायदा दार्जिलिंग व असम से विशेषज्ञ उत्तराखंड आएंगे। कुमाऊं व गढ़वाल मंडल के श्रमिकों को करीब तीस तीस के दल में प्रशिक्षण दिया जाएगा। सूत्रो के अनुसार इसके लिए बकायदा तैयारी तेज कर दी गई है। असम व दार्जिलिंग से पहुंचने वाले विशेषज्ञ प्रदेश के नर्सरियों तथा बागानो में कार्य करने वाले श्रमिकों को बेहतर उत्पादन के गुर सिखाएंगे।

प्रशिक्षण के बाद अकुशल को मिलेगा कुशल श्रमिक का दर्जा

प्रदेशभर में चाय विकास बोर्ड में कार्यरत करीब चार हजार अकुशल श्रमिक हैं। चाय विकास बोर्ड के सूत्रो के अनुसार प्रशिक्षण मिलने के बाद श्रमिक कुशल की श्रेणी में आ जाएंगे। कुशल श्रमिक का दर्जा मिल जाने के बाद उनकी आय में वृद्धि होगी। वर्तमान में अकुशल श्रमिकों को करीब 316 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। पर कुशल श्रमिक हो जाने के बाद 358 रुपये प्रतिदिन का भुगतान किया जाएगा। श्रमिकों को करीब 42 रुपये प्रतिदिन का लाभ मिलेगा। इस हिसाब से एक श्रमिक के प्रतिमाह मानदेय में 1260 रुपये की बढ़ोतरी हो जाएगी।

पचास लाख पौधों की नर्सरी हो चुकी तैयार

प्रदेशभर में लगभग 1390 हेक्टेयर में बागान विकसित किए जा चुके है। जबकि पूरे प्रदेश में करीब पचास लाख पौधों की नर्सरी है। प्रदेश में नैनीताल, अल्मोडा, चंपावत, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौडी़ मे चाय बागान है।