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= मूलभूत जरूरतों के लिए भी कई किमी की दौड़
= ग्रामीणों ने उठाई सुविधाओं की मांग

((((पंकज भट्ट/महेंद्र कनवाल/अंकित सुयाल की रिपोर्ट)))

सरकार व उसके नुमाइंदे सुदूर गांवो में सुविधाएं पहुंचाने का लाख दावे करें पर धरातल में दावे झूठे साबित हो रहे है। बेतालघाट ब्लॉक के सुदूर ताडी़खेत व धारी गांव के तमाम परिवारों को आज भी महत्वपूर्ण सुविधाओं के लिए तरसना पड़ रहा है। जरूरत की चीजों के लिए भी कई किलोमीटर दौड़ लगानी पड़ती है।
बात हो रही है बेतालघाट ब्लॉक के सुदूर ताड़ीखेत व धारी गांव की। जहां आज भी ग्रामीण जरुरत की चीजों के लिए कई किलोमीटर की दूरी नाप रहें है। रसोई गैस सुविधा के लिए छह किलोमीटर दूर आवाजाही करनी पड़ती है। आलम यह है कि ग्रामीण सिलेंडरों को सिर पर रख बेतालघाट ब्लाक मुख्यालय से लोहाली गांव तक पहुंचने वाले गैस के वाहन तक पहुंचते हैं। आने जाने में करीब 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। रोजगार की तलाश में गांवों के नौजवान गांव से बाहर नौकरी कर रहे हैं ऐसे में घर पर रह रहे बुजुर्गो को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ताडी़खेत गांव के करीब पचास से ज्यादा परिवार गांव से करीब ढाई किमी दूर कोडापानी नामक स्थान पर गैस लेने पहुंचते हैं। तो वहीं धारी गांव के करीब 45 से ज्यादा परिवार लोहाली मोटर मार्ग पर गांव से करीब छह किमी दूर बसानी बैंड तक मजबूरी में गैस का सिलेंडर सिर पर ले जाते हैं। ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी करीब 18 किमी दूर सीएचसी गरमपानी पहुंचना पड़ता है। परेशानी से जूझ रहे ग्रामीणों का सुध लेवा कोई नहीं है। सैकड़ों परिवारों के लिए एक अदद अस्पताल तक ना होना नीति निर्माताओं की मंशा पर सवाल उठा रहा है। ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र स्थापित किए जाने की मांग उठाई है।