◼️ लगाता नुकसान से किसानों का खेती बाड़ी से हो रहा मोहभंग

◼️ कुंजगढ़ नदी का वेग कृषि भूमि कर रहा नुकसान
◼️कृर्षि भूमि के आसपास गुणवत्ता युक्त सुरक्षा कार्य कराए जाने की उठी मांग

(((टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

पर्वतीय क्षेत्र में किसानों की किस्मत साथ नहीं दे रही। कभी मौसम तो कभी जंगली जानवरों से किसान नुकसान उठा रहे हैं। अब बारिश बढ़ने पर कुंजगढ़ नदी का बहाव किसानों की कृषि भूमि को लगातार काट रहा है जिससे किसानों की खेती का रकबा घटता ही जा रहा है। किसानों ने सरकार से कृषि भूमि के आसपास ठोस मजबूत सुरक्षात्मक कार्य कराए जाने की पुरजोर मांग उठाई है ताकि समय रहते कृषि भूमि को बचाया जा सके।समीपवर्ती कमान, तिपोला, टूनाकोट समेत तमाम गांवों के काश्तकार कुंजगढ़ नदी से सटी कृषि भूमि पर कृषि कार्य कर अपनी आजीविका चलाते हैं पर अब किसानों का खेती बाड़ी से मोहभंग होने लगा है। कभी समय पर बारिश ना होने से उपज खेतों में बर्बाद होती है तो जंगली जानवर बची खुची कसर पूरी कर देते हैं। अब बारिश बढ़ने ने कुंजगड़ नदी का बहाव किसानों की कृषि भूमि को लील रहा है। कुंजगढ़ का वेग किसानों की कृषि भूमि में जबरदस्त कटाव कर रहा है बावजूद कोई सुध लेवा नहीं है। काश्तकारों का आरोप है की.सुरक्षात्मक कार्य होते भी हैं तो वे मनमाने ढंग से किए जाते हैं। गुणवत्ता के अभाव में वेग बढ़ने पर नदी की भेंट चढ़ जाते हैं। स्थानीय आनंद सिंह, कृपाल सिंह, सुनील मेहरा, खुशाल सिंह, अमित मेहरा, अर्जुन जीना आदि किसानों ने नदी क्षेत्र में कृषि भूमि क्षेत्र के आसपास गुणवत्तायुक्त मजबूत बाढ़ सुरक्षा के कार्य कराए जाने की मांग उठाई है। ताकि कृषि भूमि को सुरक्षित किया जा सके।