= हाइवे से सटे क्षेत्र में जुलाई में काफल की पैदावार से कोतुहल
= बदलते मौसम चक्र से देर तक पैदावार की आशंका
(((कुबेर सिंह जीना/सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))
बेमौसम काफल की पैदावार होने से लोग हैरत में हैं। अमूमन मार्च के महीने में काफल की पैदावार होती थी पर इस बार जुलाई में काफल दिखने से लोग हैरान है। बदलते मौसम से लोग जुलाई में भी काफल का आनंद ले रहे हैं।
इसे जलवायु परिवर्तन कहें या मौसम का बदलता मिजाज मार्च के महीने में भी पेड़ों में काफल आने से धारी व उल्गौर क्षेत्र के ग्रामीण हैरत में है। ग्रामीण बताते हैं कि आज तक उन्होंने कभी भी जुलाई में पेड़ों में काफल नहीं देखे हर बार मार्च तक ही पेड़ों में काफल की पैदावार होती थी पर इस बार जुलाई में भी काफल निकल रहे हैं। लोग रशीले काफल का खूब आनंद ले रहे हैं। मार्च से तीन महीने बाद पेड़ों में काफल सबके लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। पंतनगर अनुसंधान केंद्र मझेडा़ की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अंजलि अग्रवाल ने मौसम परिवर्तन के कारण ऐसा होने की संभावना जताई है। साथ ही कहा है कि हो सकता है यह जुलाई में होने वाली प्रजाति हो। काफल अमूमन जंगलों में ही पाया जाता है।