◼️ दो किमी दूर से सिर पर पानी ढोना बनना मजबूरी
◼️ ग्रामीणों ने संबंधित विभाग पर लगाया उपेक्षा का आरोप
◼️ जल संस्थान के कार्यालय में धरना प्रदर्शन का ऐलान

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

गांवों में पेयजल संकट सिर चढ़कर बोल रहा है। मजबूरी में गांव के लोग बरसाती गधेरो का पानी पीने को मजबूर हैं। बेतालघाट ब्लॉक के उल्गौर गांव में ग्रामीण दस माह से बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। आपदा में ध्वस्त पेयजल लाइन को आज तक दुरुस्त नहीं किया जा सका है। ग्रामीणों ने संबंधित विभाग पर उपेक्षा का आरोप लगाया है।
उल्गौर गांव के वाशिंदे विभागीय लापरवाही का खामियाजा उठाने को मजबूर है। बीते अक्टूबर में आई आपदा के बाद से अब तक गांव की पेयजल लाइन को दुरुस्त नहीं किया जा सका है। मजबूरी में गांव के लोग करीब दो किमी दूर से सिर पर पानी ढोने को मजबूर है। ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार पेयजल व्यवस्था दुरुस्त किए किए जाने की मांग उठाई जा चुकी है बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही। लगातार गांव की उपेक्षा की जा रही है। स्थानीय संजय सिंह रावत, जीवन सिंह, दान सिंह, महेंद्र सिंह, रमेश जोशी,पंकज भट्ट, पंकज रावत, प्रेम सिंह आदि ने पेयजल व्यवस्था दुरुस्त किए जाने की मांग उठाई है। चेतावनी दी है कि यदि जल्द व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो फिर संबंधित विभाग के कार्यालय में धरना शुरू किया जाएगा।