= सुयालबाडी़ व आसपास पानी को हाहाकार
= वाहनो से दूरदराज से पानी ढोना बना मजबूरी
= लंबे समय से क्षेत्रवासी परेशान

(((कुबेर जीना/अंकित सुयाल/मनीष कर्नाटक/भीम बिष्ट की रिपोर्ट)))

तपिस बढ़ने के साथ ही पेयजल संकट गहरा गया है। होली त्यौहार के नजदीक होने के बावजूद तमाम गांवो के लोग बूंदबूंद पानी के लिए तरस रहे है। आलम यह है की वाहनो के जरिए दूरदराज से पानी की व्यवस्था करना मजबूरी बन चुका है। पेयजल संकट से परेशान ग्रामीणों का पारा चढते ही जा रहा है। जल्द व्यवस्था में सुधार न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
हाईवे पर स्थित सुयालबाडी़ बाजार तथा आसपास के गांवो में पेयजल संकट सिर चढ़कर बोल रहा है। क्षेत्र के वासिंदे बूंदबूंद पानी को मोहताज हो चुके है। मजबूरी में लोग दूरदराज स्थित प्राकृतिक जल स्रोतो से वाहनो के जरिए पानी ढो रहे है। क्षेत्रवासियों का आरोप है की कई बार आवाज उठाए जाने के बावजूद कोई सुधलेवा नही है। आपदा के बाद से ही पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। आपदा को पांच माह बीतने के बावजूद व्यवस्था में सुधार को ठोस कदम नही उठाए जा रहे। होली पर्व नजदीक होने के बावजूद व्यवस्था में सुधार नही किया जा रहा। व्यापारी नेता मदन सुयाल, कुबेर सिंह, मनीष कर्नाटक, अंकित सुयाल, श्याम सिंह आदि ने संबधित विभाग पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। दो टूक चेतावनी दी है की यदि जल्द पेयजल व्यवस्था दुरुस्त नही की गई तो क्षेत्रवासियों को साथ लेकर संबधित विभाग के कार्यालय में धरना दिया जाऐगा।