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आजादी तो मिली पर नहीं मिली आज तक सड़क
फल उत्पादक पट्टी के काश्तकारों को सड़क सुविधा के अभाव में उठाना पड़ता है नुकसान

गरमपानी डेस्क: ग्रामीण विकास के लाख दावे किए जाएं पर धरातल में दावे खोखले साबित हो रहे हैं। आजादी के बाद से आज तक ग्रामीण महज तीन किमी रोड के लिए तरस रहे हैं। आलम यह है कि फलों की बंपर पैदावार होने के बावजूद काश्तकारों को रोड ना होने का खामियाजा उठाना पड़ता है और कई काश्तकारों की उपज खेतों में ही सड़ जाती है।

मामला बेतालघाट व रामगढ़ ब्लॉक से सटे स्यूण गांव का है। ग्रामीणों के अनुसार बार-बार आवाज उठाने के बावजूद आज तक सड़क सुविधा नसीब नहीं हो सकी है। गांव में आढू, पूलम, नाशपाती आदि फलों की बंपर पैदावार होती है पर रोड से पहुंच दूर होने के चलते काश्तकारों को खामियाजा उठाना पड़ता है। उपज को रोड तक पहुंचाने में काफी लागत लगती है ऐसे में कई काश्तकारों की उपज खेतों में ही बर्बाद हो जाती है। गांव के करीब पचास से ज्यादा परिवारों को सड़क ना होने से तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मरीज व गर्भवती महिलाओं को डोली के सहारे तीन किमी दूर कूल- चोपड़ा- बिरखन मोटर मार्ग तक ले जाया जाता है वहां से भी बमुश्किल वाहन मिलने पर सुयालबाडी व गरमपानी से जाना पड़ता है। स्थानीय शम्भु सुनाल, नवीन चंद्र, कमल सुनाल, गोपाल दत्त, जगदीश चंद्र आदि ने मोटर मार्ग निर्माण की मांग उठाई है। दो टूक चेतावनी दी है कि यदि जल्द मोटर मार्ग निर्माण न हुआ तो ग्रामीणों को साथ लेकर आंदोलन शुरु किया जाएगा।