◾न जमीन मिल सकी न सिर छुपाने को छत
◾ किराए के कमरे में दिन काटने को है मजबूर
◾ शिप्रा के उफान में बह गया था सब कुछ

((( टीम तीखी नजर की रिपोर्ट)))

आपदा को दो वर्ष से भी अधिक का समय बीत जाने के बावजूद आपदा प्रभावितों के जख्म आज भी हरे हैं‌। उचित मुआवजा न मिल पाने से प्रभावितों को एक अदद छत तक नसीब नहीं हो सकी है। मजबूरी में किराए के कमरे में दिन काटने को मजबूर हैं। 74 वर्षीय आपदा प्रभावित पुष्पा खुल्बे भी मायूस है। इधर उपजिलाधिकारी राहुल शाह के अनुसार आपदा प्रभावितों को जमीन उपलब्ध कराने संबंधी प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है भूमि भी चिन्हित कर ली गई है। स्वीकृति मिलते की भूमि उपलब्ध करा दी जाएगी।
दो वर्ष पूर्व मूसलाधार बारिश के बाद उफान में आई उत्तरवाहिनी शिप्रा ने रौद्र रूप अपना लिया। देखते ही देखते क्षेत्र के कई आवासीय भवन शिप्रा के वेग में समा गए‌ कई लोगों को भारी नुकसान हुआ। प्रशासन ने मानक के अनुसार मुआवजा भी उपलब्ध कराया पर वह नाकाफी साबित हुआ। खैरना क्षेत्र की पुष्पा खुल्बे भी अपना भवन आपदा में गंवा चुकी है बावजूद अब तक उन्हें ना तो सरकार की ओर से भूमि उपलब्ध हो पाई है और ना ही छत जिस कारण 74 वर्षीय बुजुर्ग किराए के कमरे में दिन काटने को मजबूर हैं। ध्वस्त भवन को टकटकी लगाए देख रही पुष्पा बताती है समुचित मदद मिलने से वह मायूस हो चुकी हैं। पूर्व में तहसील प्रशासन ने मझेडा़ क्षेत्र में भूमि चिह्नित की पर कुछ लोग उस पर अपना हक जता रहे जिससे भविष्य में जमीन मिलने की उम्मीद भी नहीं है। क्षेत्र के लोगों ने भी आपदा प्रभावितों को भूमि व आवासीय भवन उपलब्ध कराने की पुरजोर मांग उठाई है। उप जिलाधिकारी राहुल शाह के अनुसार पूर्व में मुआवजा वितरित किया जा चुका है। तीन आपदा प्रभावितों के लिए भूमि चिन्हित कर प्रस्ताव शासन को भेजा गया है स्वीकृति मिलने के साथ ही भूमि उपलब्ध कराई जाएगी।