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= लगातार नुकसान से बेहाल है गांवो के कास्तकार
= किसानों की उपेक्षा पर आंदोलन का ऐलान
= लॉकडाउन, सूखा, ओलावृष्टि, जंगली जानवरों की घुसपैठ से प्रभावित हो गई खेती


(((फिरोज अहमद/कमल बधानी/पंकज भट्ट की रिपोट)))

लगातार नुकसान से जूझ रहे किसानों को मुआवजा देने तथा ब्लाक को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। उपज के चौपट हो जाने से किसान भी मायूस है।
बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांवों में किसान लगातार चौपट हो रही खेती से परेशान है। बीते वर्ष लॉकडाउन से फसल खेतों में ही चौपट हो गई। सब कुछ ठीक हो जाने की उम्मीद में किसानों ने खेतों को रूख किया तो ठीक समय पर बारिश ना होने से किसान मायूस हो गए। बीज तक घर पर धरे के धरे ही रह गए। बुवाई बुरी तरह बुवाई प्रभावित हो गई। रही सही कसर जंगली जानवरों ने पूरी कर दी है। किसानों के हालात बद से बदतर हो चुके हैं। लगातार नुकसान झेल रहे किसान बैंकों से ऋण लेकर खेती किसानी करने को मजबूर है। लगातार खेती चौपट होते जा रही है। गांवो में खेत के खेत बंजर हो चुके हैं। कुछ गांवों में किसानों ने हाड़तोड़ मेहनत कर खेत तैयार किए। उपज की पैदावार भी हुई तभी ओलावृष्टि ने सब कुछ चौपट कर दिया जिससे किसानों पर दोतरफा मार पड़ी। किसानों की लगातार बिगड़ रही स्थिति पर संबंधित विभाग व सरकार भी ध्यान नहीं दे रही। लोगों ने ब्लॉक को सूखाग्रस्त घोषित करने के साथ ही किसानों को उचित मुआवजा दिए जाने की पुरजोर मांग उठाई है। चेतावनी दी है कि यदि किसानों की उपेक्षा की गई तो सड़क पर उतर आंदोलन शुरू किया जाएगा।