= बैंको से नोटिस मिलने पर आपदा प्रभावित मायूस
= स्वरोजगार के लिए बैंको से लिया था लोन
= आपदा ने सब कुछ कर डाला तबाह
(((ब्यूरो चीफ विरेन्द्र बिष्ट/फिरोज अहमद/सुनील मेहरा की रिपोर्ट)))
बैंको से ऋण वसूली नोटिस जारी होने से आपदा प्रभावितो के जख्म हरे हो गए है। आपदा में हुई तबाही से सब कुछ गंवा बैठै प्रभावित बैको से नोटीस मिलने से निराश है। विभिन्न संगठनों से जुडे़ लोगो ने हालात सुधरने तक ऋण वसूली स्थगित करने की मांग उठाई है।चेताया है की परेशानी से जूझ रहे आपदा प्रभावितो को परेशान किया गया तो फिर अनिश्चितकालीन धरना शुरु किया जाऐगा।
अक्टूबर में आई आपदा ने तमाम लोगो को भारी नुकसान पहुंचाया। बैंको से ऋण लेकर व्यापार शुरु करने वालो के लिए आपदा कहर बनकर टूटी।व्यापार को नेस्तानाबूत कर डाला।कई ऐसे भी लोग है जिन्होंने बैंक से ऋण लेकर स्वरोजगार की नींव रखी पर आपदा ने सब कुछ तबाह कर डाला। सरकारी मदद के नाम पर भी कुछ नही मिल सका इसके उलट अब बैंको ने प्रभावितों को नोटीस भेजने शुरु कर दिए है जिससे आपदा प्रभावित तनाव में आ चुके है। विभिन्न राजनैतिक, गैरराजनीतिक तथा व्यापारिक संगठनो से जुडे़ लोगो ने इसे आपदा प्रभावितो का उत्पीड़न करार दिया है। हरीश चंद्र, महेंद्र सिंह, पूरन लाल आर्या, दीवान कुमार, पंकज नेगी, हरीश कुमार, भाष्कर आर्या, भरत सिंह आदि के अनुसार पहले ही आपदा प्रभावित परेशानी का सामना करना करने को मजबूर है वहीं अब बैंको से ऋण वसूली के नोटीस भेजे जा रहे है जिससे उनका मनोबल टूटता जा रहा है। आपदा प्रभावित परेशान है ऐसे मे बैंक नोटीस भेज जख्मो को हरा कर दे रहे है।लोगो ने आपदा प्रभावितों की ऋण वसूली स्थगित करने की पुरजोर मांग उठाई है।दो टूक चेतावनी दी है की यदि आपदा का दंश झेल रहे लोगो पर अनावश्यक दबाव बनाया गया तो फिर आंदोलन की रुपरेखा तैयार की जाऐगी।